यूं तो ममता बनर्जी का रेल बजट सिर्फ राजनीति का झुनझुना भर है। 85 पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) परियोजनाओं की घोषणा भी बहुत बढ़ी-चढ़ी लगती है। लेकिन इससे यह संकेत जरूर मिलता है कि भारतीय रेल निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है। आज ही आई आर्थिक समीक्षा ने आम बजट को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। राजकोषीय घाटे को जीपीजी के 4.8 फीसदी पर लाना दिखाता है कि सरकार अपने खजाने को चाक-चौबंद करने के प्रति गंभीर है।
आज दोपहर ममता बनर्जी रेल बजट पेश करें, इससे पहले ही वैगन कारोबार से जुड़े तमाम स्टॉक्स में गिरावट शुरू हो गई थी। टीटागढ़ वैगन्स (बीएसई कोड – 532966) 13.06 फीसदी की भारी गिरावट का शिकार हुआ है। कालिंदी रेल निर्माण (बीएसई कोड – 522259) को भी 13.74 फीसदी की तगड़ा धक्का लगा है। ममता ने जब पिछले साल के वादे पूरे नहीं किए हैं तो इस साल के लंबे-चौड़े अनुमान महज आंकड़ों की रेल हैं, जिनसे कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
किरायों में इसलिए कोई वृद्धि नहीं की क्योंकि उन्हें अपना चुनावी माहौल बनाना था। मालभाड़े में कोई तब्दीली करतीं तो उन्हें महंगाई बढ़ानेवाला मान लिया जाता। इसलिए वहां भी कुछ नहीं। रेल मंत्री ने नए कॉरिडोरों की घोषणा की हैं। लेकिन घोषणा और अमल में कितना फासला है, यह हर कोई जानता है। वैसे भी, तीन महीने बाद ममता बनर्जी दिल्ली के रेल भवन में होंगी या कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में? उसका सारा ध्यान राइटर्स बिल्डिंग पर कब्जा जमाने का है।
ऐसे में अगर आर्थिक समीक्षा के सकारात्मक संकेत न होते तो शायद मंदड़िये माहौल का फायदा उठाकर बाजार को और डुबा देते। लेकिन मल्टी ब्रांड रिटेल को एफडीआई के लिए खोलने, वित्तीय क्षेत्र के सुधार और राजकोषीय इंतजामों को दुरुस्त करने की बातों ने काफी आश्वस्त कर दिया है कि आम बजट बाजार व अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा रह सकता है। सेंसेक्स का 68.5 अंक और निफ्टा का 40.85 अंक बढ़ना दिखाता है कि बाजार इन बातों को समझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे से खबर मिल रही है कि गद्दाफी लीबिया छोड़ निजी विमान में सारा सोना व डॉलर भरकर जिम्बॉब्वे भागने की तैयारी में हैं। इसके बाद कच्चे तेल के दाम अचानक आसमान से जमीन पर गिर सकते हैं। तेजड़िये बजट के बाद बाजार को लेकर उड़ने की तैयारी में हैं।
फिर भी हालात व बजट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होना सही नहीं है। सावधान रहना जरूरी है। एक बात जान लें कि अगर बजट में सकारात्मक फैसले नहीं हुए तो बाजार यू-टर्न लेने से पहले और 5 फीसदी गिरावट का शिकार हो सकता है। अभी बाजार का 14 के पी/ई अनुपात पर पहुंच गया है। इस मूल्यांकन में 2 पी/ई की और कमी की गुंजाइश है। तब 11 पी/ई के अनुपात पर बाजार 1991 की स्थिति में होगा। क्या इससे बाद भी कुछ गिरने को बचता है?
निवेशक इस दौरान अपने पसंदीदा अच्छे स्टॉक्स खरीद सकते हैं। हालांकि मुझे पता है कि डर और लालच उन्हें ऐसा करने नहीं देगी। ट्रेडर तो फिलहाल हाथ बांधकर इस इंतजार में लगे हैं कि बजट में क्या होता है। फिर भी जो लोग जोखिम उठाना चाहते हैं, वे निफ्टी में मंगलवार के लिए 5560 के लक्ष्य के साथ लांग हो सकते हैं, लेकिन 5185 का तगड़ा स्टॉप लॉस लगाकर। याद रखें कि इसी महीने 11 फरवरी 2011 को निफ्टी 5177.70 का न्यूनतम स्तर देख चुका है।
अनुभव वह नाम है जो हर कोई अपनी गलतियों को दे दिया करता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
morring i write hear your are bullish in january to february but many expetr say bearish /[expert is right ]now hear news nifty in march 4800 ?????????