प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ महीने पहले विपक्ष की जातिगत जनगणना के अभियान को काटने के लिए कहा था कि देश में केवल चार ही जातियां हैं – गरीब, युवा, महिलाएं और किसान। सत्ताबल और धनबल के बावजूद मोदी की पार्टी भाजपा को जनता ने 543 सीटों की लोकसभा में से बहुमत से 32 कम केवल 240 सीटें ही दी है। आज मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में टीडीपी और जेडी-यू की बैसाखी पर खड़ी है। लेकिन देश भर में जिस तरह नीट से लेकर नेट की परीक्षाओं के पर्चे लीक होने से लाखों छात्र सड़कों पर उतर आए हैं, उस पर शिक्षा मंत्री के बचाव और मोदी की चुप्पी से इतना तो साफ हो गया है कि यह सरकार छात्रों की नहीं है। गांवों से लेकर गली-मोहल्लों और शहरों से लेकर महानगरों तक में बेरोज़गारी का जो आलम है, उससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार नौजवानों की भी नहीं है। मोदी सरकार को सत्ता संभालते ही तत्काल घोषणा कर देनी चाहिए थी कि वह केंद्र सरकार में खाली 30 लाख पदों को भरने जा रही है। लेकिन मोदी जी बेरोजगारी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए कोई अभियान चलाने के बजाय आते ही विदेश यात्राओं और अपनी प्रशस्ति में व्यस्त हो गए। वे जनता से मिली करारी चपत को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं और पुराना ढर्रा ही चलाए जा रहे हैं। अब सोमवार का व्योम…
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