देश के इक्विटी बाजार में उतरनेवाला नया स्टॉक एक्सचेंज, एमसीएक्स एसएक्स पूरी तैयारी कर चुका है और बहुत मुमकिन है कि 13 नवंबर को दीवाली के मंगल अवसर पर या इससे पहले ही एक्सचेंज में ट्रेडिंग शुरू कर दे। एक्सचेंज के उप-चेयरमैन जिग्नेश शाह ने सोमवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया, “नौ साल पहले 18 नवंबर को हमने अपने कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स की शुरुआत की थी। हमारी कोशिश एमसीएक्स एसएक्स की शुरुआत भी नवंबर महीने में दीवाली के आसपास करने की है। हम पूरी तरह तैयार हैं।”
उन्होंने बताया कि 5 सितंबर से देश भर में चलाए गए छह हफ्ते के सदस्यता अभियान में अब तक 700 से ज्यादा सदस्य (ब्रोकर) एक्सचेंज से जुड़ चुके हैं, वह भी तब, जब बीच में 15 दिन का श्राद्ध पक्ष था। यह भारत ही नहीं, समूची दुनिया में ट्रेडिंग शुरू करने से पहसे किसी भी स्टॉक एक्सचेंज द्वारा बनाया गया नया रिकॉर्ड है। बीएसई की बात बहुत पुरानी है। उसने 1875 में ट्रेडिंग शुरू की थी तो उसके 318 सदस्य थे। वहीं एनएसई ने 4 नवंबर 1994 को शुरुआत की तो उसके 140 सदस्य थे। एमसीएक्स एसएक्स की सदस्यता लेनेवालों में से करीब 15 फीसदी ग्रामीण उद्यमी और प्रोफेशनल है। इन तक देश का कोई भी स्टॉक एक्सचेंज पहली बार पहुंच रहा है।
श्री शाह का कहना था कि हर जगह लोगों में निवेश को लेकर जबरदस्त आशावाद है। बस, उन तक आसान और समझ में आनेवाले उत्पाद पहुंचाने की जरूरत है। एमसीएक्स एसएक्स सरकारी बांड जैसे जोखिम रहित उत्पाद उन तक पहुंचाएगा। उन्होंने नए बने सदस्यों का ब्योरा तो नहीं दिया। लेकिन बताया कि एफआईआई ब्रोकरों समेत जितने भी प्रमुख नाम हैं, वे सभी एक्सचेंज के सदस्य बन चुके हैं। एक्सचेंज शुरू में अपने चालीस स्टॉक्स के सूचकांक एसएक्स-40 और लंदन स्टॉक्स एक्सचेंज के फुटसी सूचकांक (FTSE) के साथ बने नए सूचकांक समेत तीन सूचकांकों से करेंगा। इक्विटी सेगमेंट के साथ एफ एंड और सेगमेंट भी रहेंगे। साथ ही ऋण प्रपत्रों के साथ ब्याज दर वायदा भी जल्दी ही पेश कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एक्सचेंज का जोर चार बातों पर रहेगा जो हैं इनफॉरमेशन, इन्नोवेशन, एजुकेशन और रिसर्च। निवेशकों को रिटर्न के साथ-साथ रिस्क की जानकारी भी दी जाएगी। इसी से देश में इक्विटी संस्कृति पैर जमा सकती है। उनका कहना था कि हमारे देश के उद्यमियों को रिस्क कैपिटल की जरूरत है। अगर चीन जैसा देश 12 अरब डॉलर की नई पूंजी शेयर बाजार से जुटा सकता है तो हम अपने लघु व मझौले उद्यमों (एसएमई) के लिए एक-दो करोड़ डॉलर की न्यूनतम पूंजी क्यों नहीं जुटा सकते?