बाज़ार का स्वभाव, तेज़ी चढ़े धीरे-धीरे

शेयर बाज़ार जिस तरह से काम करता है, उसमें भावों का बढ़ना धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से होता है। असल में तेज़ी का बाज़ार हमेशा धीरे-धीरे करके बनता है, एकबारगी नहीं। वह एक-एक कदम, एक-एक सीढ़ी चढ़ता है। इसकी सीधी-सी वजह है कि भरोसे को बनने और बढ़ने में वक्त लगता है। इसलिए तेज़ी के बाज़ार में मौके हाथ से खटाक से नहीं निकल जाते। चूक जाने पर उन्हें दोबारा पकड़ा जा सकता है। अब सोमवार का व्योम…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field