लोग अक्सर पूछते रहते हैं कि शेयर बाज़ार कहां जाएगा। इनमें नाते-रिश्तेदार से लेकर निवेश व ट्रेडिंग से जुड़े तमाम लोग शामिल हैं। बाज़ार की अनिश्चितता के बीच निश्चितता खोजना सहज मानवीय वृत्ति या कमजोरी है। हर छोटा-बड़ा धंधेबाज़ इसका फायदा उठाता है। ऋधम देसाई बहुत बड़े मार्केट गुरु हैं। कई किताबें लिख चुके हैं। अखबारों में कॉलम लिखते हैं। भारत में मॉरगन स्टैनले जैसे बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक के मुख्य इक्विटी रणनीतिकार हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि दिसंबर 2026 तक बीएसई सेंसेक्स 1,07,000 अंक तक चला जाएगा। धंधे की थोड़ी शर्म बाकी है तो बोले कि इसकी प्रायिकता 30% है। पिछले साल वे दिसंबर 2025 तक सेंसेक्स के 1,05,000 तक पहुंचने का दावा कर चुके थे। उससे भी पहले नवंबर 2017 में उन्होंने कहा था कि सेंसेक्स चार-पांच साल में 1,00,000 अंक तक पहुंच जाएगा। ये हवाबाज़ियां चलती रहेंगी, जब तक हम पूछते रहेंगे कि बाज़ार यहां से कहां तक जाएगा। उसी तरह जैसे किसानों की आय दोगुनी करने और 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की जुमलेबाज़ी राजनीति में चलती जा रही है। लेकिन सच्चे विकास व अच्छे निवेश में ऐसी हवाबाज़ी या जुमलेबाज़ी नहीं चलती। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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