सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कन्डेय काटजू को केंद्र सरकार ने भारतीय प्रेस परिषद का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया है। इस बारे में बुधवार को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई। जस्टिस काटजू भ्रष्टाचारियों को लैंप-पोस्ट से लटकाने जैसे दो-टूक फैसले सुनाकर आम लोगों में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। वे मूलतः कश्मीरी हैं। लेकिन उनकी शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई है।
जस्टिस मार्कन्डेय काटजू का जन्म 20 सितम्बर, 1946 को हुआ था। वे इलाहाबाद विश्व विद्यालय में पढ़ने के दौरान सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता भी रहे हैं। कानून व राजनीति के क्षेत्रों में उनके परिवार की उपलब्धियों के कारण उनकी पृष्ठभूमि उल्लेखनीय रही हैं। उनके पिता स्वर्गीय न्यायमूर्ति डॉ. एस.एन. काटजू इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश थे। उनके दादा डॉ. कैलाश नाथ काटजू देश के अग्रणी न्यायाधीशों में गिने जाते थे और उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया था। डॉ. कैलाश नाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के राज्यपाल और केंद्र सरकार में कानून, गृह और रक्षा मंत्री थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करने के बाद जस्टिस मार्कन्डेय काटजू 1991 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए थे। वे अक्टूबर 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य नयायाधीश बने। उन्हें अप्रैल 2006 में भारत के सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वे 19 सितम्बर 2011 को रिटायर हो गए। जस्टिस मार्कन्डेय काटजू ने कई किताबें लिखी हैं। इनमें लॉ इन द साइटिंफिक एरा, इंटरप्रेटेशन ऑफ टैक्सिंग स्टैटस, मीमांसा रूल्स ऑफ इंटरप्रेटेशन और डोमेस्टिक इनक्वायरी शामिल हैं।