राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति सरकार ने तैयार कर ली है और जल्दी ही इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। केंद्र में वाणिज्य, उद्योग और वस्त्र मंत्रालय का जिम्मा एक साथ संभालने वाले मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को राजधानी में निर्यात पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि उन्होंने कल (गुरुवार) को ही इस नीति के कैबिनेट नोट पर दस्तखत किए हैं और कुछ ही हफ्तों में भारत की पहली राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति अस्तित्व में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि इन नीति का उद्देश्य देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 16 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर साल 2025 तक 25 फीसदी पर पहुंचाना देना है।
सम्मेलन में श्री शर्मा ने कहा कि आने वालों कुछ सालों में करीब दस करोड़ नौजवान नौकरी के लिए तैयार हो जाएंगे और उनके वास्ते रोजगार पैदा करने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर ध्यान देना जरूरी है। निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों की जानकारी देते हुए वाणिज्य मंत्री ने कहा कि बाजार और उत्पादों के मामलों में विविधता की रणनीति के अच्छे परिणाम निकले हैं और हमें दुनिया की आर्थिक समस्याओं से उत्पन्न मुद्दों से निपटने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और आसियान के साथ हमारे व्यापार में पर्याप्त प्रगति हुई है।
श्री शर्मा ने कहा कि इन उपायों से हमारा दोतरफा व्यापार पिछले साल 600 अरब डॉलर को पार कर गया। उन्होंने विश्वास जताया कि 2020 तक हमारा निर्यात प्रतिशत में दोगुना हो जाएगा। लेकिन साथ ही उन्होंने जोर देकर किसी भी परेशानी से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा क्योंकि विश्व अर्थव्यवस्था की सुधार की स्थिति खराब चल रही है और नई से नई समस्याएं पैदा होती जा हैं।
मंत्री महोदय ने अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि हमारे देश में नियमों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता और गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। सत्यम का जिक्र करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि भारत सरकार ने उद्योग के साथ मिलकर कार्रवाई की और कंपनी के साथ-साथ हजारों नौकरियों को बचा लिया गया। ऐसा बहुत-सी विकसित अर्थव्यवस्था में नहीं होता है जहां ऐसे घोटालों के कारण नौकरियां चली जाती हैं और कंपनियां बर्बाद हो जाती हैं।