लोकसभा में जुलाई 2008 में विश्वास मत के दौरान ‘वोट के बदले नोट घोटाले’ संबंधी विकिलीक्स के खुलासों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खीझ और बचाव की मुद्रा में ला खड़ा दिया है। वे जहां संसद में विपक्ष को जनता द्वारा खारिज किए जाने की दुहाई देते रहे, वहीं संसद से बाहर उन्होंने खुद अपने पाक-साफ होने की दलील थी। उनका सांसदों की खरीद-फरोख्त से साफ इनकार नहीं किया। बस इतना कहते रहे कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं रहा है और उनका खुद का दामन साफ है।
विपक्ष के हमलावर तेवरों को शांत करने के लिए प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में बयान दिया। लेकिन विपक्ष ने उनके बयान पर स्पष्टीकरण की मांग उठा दी, जिस पर हो-हल्ले के बाद लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। प्रधानमंत्री के बयान देने से पहले भी विपक्ष काफी शोरगुल व हंगामा करता रहा।
उधर संसद से बाहर इंडिया टुडे समिट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विकिलीक्स द्वारा जारी राजनयिक दस्तावेज की सचाई पर ही संदेह प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने ‘किसी को वोट खरीदने का काम नहीं सौंपा’ और न ही वह ऐसी किसी ‘सौदेबाजी’ का हिस्सा रहे हैं। विकिलीक्स द्वारा जारी केबल्स में आरोप लगाया गया है कि 2008 में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान सांसदों की खरीद-फरोख्त की गई। प्रधानमंत्री ने इस पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जो लोग इससे (विकिलीक्स के खुलासे से) प्रभावित हुए हैं, इस पर पहले ही टिप्पणी कर चुके हैं, जिससे इस राजनयिक दस्तावेज में लगाए गए आरोपों की सचाई पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है।’’
सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे इस तरह की खरीद-फरोख्त के बारे में कोई जानकारी नहीं है और मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि मैंने किसी को कोई वोट खरीदने को नहीं कहा। मुझे वोटों की खरीद-फरोख्त की किसी गतिविधि की जानकारी नहीं है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘मैं निश्चित रूप से पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि मेरे विचार में, मैं किसी भी तरह से इस तरह की सौदेबाजी में शामिल नहीं रहा।’’ हालांकि प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी से साफ नहीं हो पा रहा है कि 22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के समय सांसदों की खरीद-फरोख्त हुई थी या नहीं।
सरकार के खिलाफ विपक्ष की मोर्चेबंदी पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘जहां तक पिछले कुछ दिन के घटनाक्रम और तथाकथित विकिलीक्स का सवाल है, मुझे कुछ नहीं कहना है। मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि इस समय या आनेवाले दिनों में हम क्या करने जा रहे हैं। ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर संसद में चर्चा चल रही है। अगर मुझे कुछ कहना होगा, तो मैं पहले संसद में कहूंगा।’’
उधर संसद में उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘पुराने आरोपों पर इस देश की जनता बहस कर चुकी है, चर्चा कर चुकी है और उसे खारिज कर चुकी है।’’ उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया कि यूपीए-1 सरकार या कांग्रेस पार्टी के किसी भी सदस्य ने लोकसभा में विश्वास मत जीतने के लिए कोई गैर-कानूनी तरीका अपनाया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे इस बात का अफसोस कि विपक्ष भूल गया है.. उसके बाद क्या हुआ.. चुनाव में जनता ने क्या किया। मुख्य विपक्षी दल की 14वीं लोकसभा में संख्या 138 थी जो 15वीं लोकसभा में घटकर 116 रह गई। वाम दलों के सदस्यों की संख्या 59 से घट कर 24 रह गई जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 145 से बढकर 206 हो गई।’’ उन्होंने कहा कि जुलाई 2008 में हुए विश्वास मत के दौरान सरकार 256 के मुकाबले 275 मतों से विजयी हुई थी। उस समय भी रिश्वत के आरोप लगे थे।