उत्तर प्रदेश के दशहरी और दूसरे किस्मों के आम के शौकीन लोगों को इस बार ‘फलों का राजा’ खरीदने के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी क्योंकि प्रतिकूल हालात की वजह से इस मौसम में आम के उत्पादन में खासी गिरावट के आसार साफ नजर आ रहे हैं। उधर महाराष्ट्र में अलफांसों की तीन चौथाई से ज्यादा फसल बरबाद हो जाने की खबर पहले ही आ चुकी है।
ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया, ‘‘उत्तर प्रदेश में पिछले साल आम की बेहतरीन पैदावार हुई थी। गत वर्ष 30 लाख टन आम का उत्पादन हुआ था। लेकिन इस साल उत्पादन सिर्फ एक तिहाई ही रह जाएगा। हमारा अंदाजा है कि इस साल 10 लाख टन आम की पैदावार होगी।’’
अली ने बताया कि उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन मुख्यतः लखनउ के मलिहाबाद और बख्शी का तालाब के अलावा सहारनपुर, सम्भल, अमरोहा तथा मुजफ्फरनगर जिलों में होता है। इन जिलों में आम के पेड़ों पर बहुत कम बौर आया, जिसका असर आम के उत्पादन पर पड़ेगा। नतीजतन लोगों को आम खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
उन्होंने बताया कि इस वक्त पेड़ों पर लगी अमिया को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन हालात सुधरने की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है।
इस बीच, मशहूर आम उत्पादक और एक ही पेड़ पर अलग-अलग आकार और जायके के आम की 300 विभिन्न किस्में विकसित कर चुके पद्मश्री हाजी कलीम उल्ला खान ने कहा है कि वे आम की फसल की वर्तमान स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं। (प्रमोद गोस्वामी, भाषा)