मंगलम ड्रग्स एंड ऑर्गेनिक्स (बीएसई कोड – 532637, एनएसई कोड – MANGALAM) कोई बड़ी कंपनी नहीं है। कुल बाजार पूंजीकरण अभी (शेयर के भाव और कुल जारी शेयरों की संख्या का गुणनफल = 20.45 X 1.318 करोड़) 26.953 करोड़ रुपए है। उसकी चुकता शेयर पूंजी 13.18 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। गुरुवार को दुरुस्त नतीजे घोषित करने के बाद शुक्रवार को उसका शेयर 6.23 फीसदी बढ़कर 20.45 रुपए पर बंद हुआ है। उसमें वोल्यूम भी औसत से ज्यादा हुआ। बीएसई में 1.55 लाख शेयरों का तो एनएसई में 26.50 लाख शेयरों का, जिसमें से डिलीवरी के लिए हुए सौदे करीब 31 फीसदी थे। यानी, इसमें बिना डिलीवरी लेनेवाले डे-ट्रेडर भी काफी सक्रिय रहे।
स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश के अपने जोखिम होते हैं क्योंकि एक तो इनमें ट्रेडिंग कम होती है, दूसरे होती है तो इनके शेयरों की सांस बड़ी तेजी से ऊपर-नीचे फूलती है। मूलभूत कारकों के आधार पर देखें तो मंगलम ड्रग्स मजबूत कंपनी है। उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 32.07 रुपए है जिसकी वजह है उसका 27.99 करोड़ रुपए का रिजर्व। यह एक ऐसा संकेतक है जो दिखाता है कि इस शेयर का भाव 32-35 रुपए तक भी चला जाए तो उसे निवेश योग्य माना चाहिए। हालांकि कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.25 रुपए है। इसलिए उसका पी/ई अनुपात 16.36 निकलता है जिसे बहुत सस्ता नहीं माना जा सकता क्योंकि जहां सिप्ला का पी/ई अनुपात 25.31 है, वही रैनबैक्सी का पी/ई अनुपात 14.78 ही है।
फिर भी मंगलम ड्रग्स की अग्रगति को देखते हुए उसमें निवेश किया जा सकता है। सितंबर 2010 की तिमाही में उसकी आय पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 17 फीसदी बढ़कर 33.06 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 28 फीसदी बढ़कर 59.25 लाख रुपए हो गया है। बीते पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 112.76 करोड़ रुपए की आय पर 1.29 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। जाहिर है कि उसका कामकाज अब अच्छी गति से बढ़ रहा है। कायदे से इसकी झलक उसके शेयर भावों में भी दिखनी चाहिए।
1977 से सक्रिय यह कंपनी बल्क दवाएं या मूल दवाओं के अवयव, परफ्यूमरी रसायन और डाई में काम आनेवाले रसायन बनाती है। उनके पास इन-हाउस आर एंड डी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) सुविधाएं भी हैं। गुजरात के वापी में उसका संयंत्र है। गोवर्धन धूत उसके चेयरमैन और पूर्णकालिक निदेशक हैं। कंपनी की कुल इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 39.27 फीसदी है। एफआईआई और डीआईआई ने इसमें हाथ तक नहीं लगा रखा है। पब्लिक के हिस्से में दर्ज 60.73 फीसदी शेयरों में से कॉरपोरेट निकायों के पास 26.71 फीसदी, छोटे निवेशकों के पास 23.68 फीसदी और मध्यम व बड़े निवेशकों के पास 8.71 फीसदी शेयर हैं। हां, कॉरपोरेट निकायों में एक बड़ा नाम इप्का लैब्स का है जिसके पास इसके 12.39 फीसदी शेयर हैं। मतलब, यह कभी न कभी इप्का लैब्स के अधिग्रहण के रडार पर आ सकती है।

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