अपने शेयर बाज़ार में 3 अक्टूबर से 17 नवंबर के दौरान जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुद्ध रूप से 37,472.82 करोड़ रुपए निकाले, उसी दौरान देशी संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 37,489.85 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। एफपीआई से थोड़ी-सी ज्यादा। असल में डीआईआई के भीतर खास भूमिका निभा रहे हैं म्यूचुअल फंड और म्यूचुअल फंडों में नियमित धन का प्रवाह सुनिश्चित कर दिया है आम लोगों द्वारा की जा रही एसआईपी या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ने। आम लोगों को दिख गया है कि एसआईपी में लगाया गया धन बैंक एफडी से ज्यादा रिटर्न दे सकता है, कभी-कभी भले ही कम दो, लेकिन तीन-चार साल से ज्यादा वक्त में एसआईपी के निवेश से 11-12% रिटर्न तो मिल ही जाता है। इस अक्टूबर में एसआईपी से इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में 16,928 करोड़ रुपए आए हैं। यह अब तक किसी महीने में एसआईपी से आई सबसे बड़ी रकम है। ऐसा तब, जब 7 अक्टूबर से इज़राइल और फिलिस्तीन की मारा-मारी शुरू हो चुकी थी। जाहिर है कि आम निवेशक मध्य-पूर्व में मची इस अशांति को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के सात महीनों में एसआईपी से कुल 1,072,240 करोड़ रुपए आ चुके हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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