बीएसई व एनएसई में मिलाकर हर दिन करीब तीन हजार कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग होती है। इनमें से सैकड़ों शेयर हर दिन बढ़ते हैं। ऐसे में कोई चुनना चाहे तो हर दिन बढ़नेवाले दो-चार शेयर छांटना मुश्किल नहीं है। लेकिन हर दिन की बढ़त पर निगाह ट्रेडरों की रहती है जो दिन के दिन अपनी कमाई कर घर निकल लेते हैं। हमें तो ऐसे शेयर चुनने हैं जो छह महीने साल भर में एफडी से ज्यादा यानी कम से कम 10-12 फीसदी रिटर्न दे जाएं। इससे ऊपर मिल जाए तो और अच्छी बात है।
अर्थकाम अपने सीमित संसाधनों से आम निवेशकों में यही भरोसा बैठाने की कोशिश कर रहा है कि जरा-सी मेहनत से ऐसे शेयरों की शिनाख्त की जा सकती है और लॉटरी की मानसिकता से उबरकर हम शेयर बाजार की मदद से अपनी बचत का मूल्य बढ़ा सकते हैं। हम मानते हैं कि हिंदी भाषी इलाके में कम से कम दस करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास हर महीने इतनी बचत होती है कि वे शेयर बाजार में आ सकते हैं। इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि अर्थकाम को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे, तभी हमारी मेहनत सार्थक हो सकती है।
तो चलिए। हर दिन की तरह एक और लिस्टेड कंपनी का शेयर आपके ध्यानार्थ पेश है। लिंकन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Lincoln Pharmaceuticals Ltd या एलपीएल) 1994 में बनी अहमदाबाद की दवा कंपनी है। महेंद्र जी पटेल इसके प्रबंध निदेशक हैं। कंपनी के शेयर बीएसई (कोड- 531633) में ही लिस्टेड हैं, एनएसई में नहीं। बी ग्रुप में शामिल है। शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए है। उसमें ज्यादा वोल्यूम तो नहीं होता, पर बहुत कम भी नहीं। शुक्रवार को उसके 28,352 शेयरों में ट्रेडिंग हुई, जबकि पिछले दो हफ्ते का औसत वोल्यूम 20 हजार शेयरों का रहा है।
नोट करने की बात यह है कि पिछले हफ्ते उसमें ज्यादातर सौदे डिलीवरी के लिए थे। सोमवार 20 दिसंबर को कुल ट्रेड हुए शेयरों में से 79.08 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। हफ्ते के बाकी चार कारोबारी सत्रों में यह अनुपात क्रमशः 89.79, 98.78, 96.85 और 95.94 फीसदी था। इससे एक बात तो साफ है कि इसमें डे-ट्रेडर नहीं, बल्कि सचमुच के निवेशक सक्रिय हैं।
शुक्रवार को इसका बंद भाव 41.15 रुपए रहा है, जबकि इसकी बुक वैल्यू 47.98 रुपए है। इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 3.68 रुपए है। इस तरह उसका शेयर मात्र 11.21 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। मतलब, सामान्य स्थितियों में इस शेयर में बढ़ने की काफी गुंजाइश है। वैसे, किसी शेयर के बढ़ने के लिए कंपनी के वर्तमान से ज्यादा उसका भविष्य मायने रखता है। तो, एक नजर कंपनी की भावी संभावनाओं पर भी डाल लेते हैं।
कंपनी ने पिछले ही महीने टिन्निटिन ब्रांड नाम ले कैरोवेरीन इंजेक्शन बाजार में उतारा है जिसे उसने स्विटजरलैंज की कंपनी फ़फाग एजी के सहयोग से विकसित किया है। यह टिन्निटस नाम की बीमारी के इलाज में काम आती है। टिन्निटस बीमारी में डिप्रेशन, घबराबट व अनिद्रा के कारण रोगी के बालों की अंदरूनी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। भारत में इस बीमारी के इलाज की यह पहली दवा है। लिंकन फार्मा ने पिछले ही साल अमेरिकी कंपनी ह्यूमन बायोसाइंसेज के साथ करार के तहत घावों को जल्दी सुखानेवाले कोलाजेन बायो प्रोडक्ट्स भारत में बेचने शुरू किए और अब इस बाजार में उसकी 22 फीसदी हिस्सेदारी हो गई है।
कहने का मतलब यह है कि कंपनी आगे बढ़ने के हरसंभव आक्रामक तरीके अपना रही है। उसने वित्त वर्ष 2009-10 में 123.59 करोड़ रुपए की आय पर 6.05 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2010-11 की सितंबर तिमाही में उसने 44.73 करोड़ रुपए की आय पर 2.83 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में उसकी आय 31.98 करोड़ और शुद्ध लाभ 2.74 करोड़ रुपए था। कंपनी की मौजूदा इक्विटी 11.31 करोड़ रुपए है जिसका 30.97 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। बाकी 69.03 फीसदी शेयर पब्लिक के पास हैं। इसका करीब आधा हिस्सा व्यक्तियों के बजाय कॉरपोरेट निकायों के पास है। पिछले कुछ महीनों में ट्रेडिंग का पैटर्न देंगे तो कुछ बड़े निवेशकों में इसमें भारी खरीद की है।
बाकी चर्चा-ए-खास में दो सूचनाएं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को हर्षद मेहता घोटाले में डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (डीआरटी) से 1800 करोड़ रुपए मिले हैं, जबकि दावा 5000 करोड़ रुपए का था। अन्य सूचना यह है कि एसएनएल बियरिंग्स ने 14 रुपए के ईपीएस के साथ नई पारी की शुरुआत की है। इसका शेयर अभी 42.85 रुपए चल रहा है। लेकिन जल्दी ही इसके 100 रुपए तक चले जाने की उम्मीद है।