दिवाली और दिवाला में बस एक मात्रा का ही अंतर है। लेकिन एक उजाला फैलाती है तो दूसरा बरबाद कर देता है। यह दिवाली या दीपावली का सप्ताह है तो हमें मनन करने की ज़रूरत है कि शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में 90-95% रिटेल ट्रेडर घाटा क्यों खाते रहते हैं? उत्तर बड़ा साफ है कि वे बुद्धि से कम और भावनाओं से ज्यादा काम लेते हैं। लेकिन यह बात तो सभी जानते हैं कि हमें ट्रेडिंग ही नहीं, जीवन में भी सफलता के लिए भावनाओं पर कंट्रोल रखते हुए बुद्धि से काम लेना चाहिए। फिर इसे हासिल कैसे किया जाए? दीपावली के बहाने पहली बात हमें यह समझनी होगी कि जिस लक्ष्मी की हम पूजा-अर्चना करते हैं, जिसके लिए हम साफ-सफाई करके दीया जलाकर स्वागत की तैयारी करते हैं, उसका असली स्वरूप क्या है। दूसरी बात यह समझनी होगी कि आज के दौर में लक्ष्मी को कैसे घर लाया जा सकता है? पूजा-अर्चना से लक्ष्मी को लाने की कामना करना तो महज मन का धन है। उन्हें करतब या कुशल काम से ही हासिल किया जा सकता है। ट्रेडिंग से कमाने के लिए धन की मूल धारणा के साथ ही शेयर बाज़ार के स्वभाव को भी गहराई से समझना होगा। बाज़ार में छोटे-बड़े ट्रेडरों के मनोविज्ञान से लेकर अल्गोरिदम में इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भी थाह लेनी होगी। अब सोमवार का व्योम…
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