आप जानते ही होंगे कि ‘सबसे तेज’ चैनल आजतक को चलानेवाली कंपनी का नाम है टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड। दिसंबर 2003 में इसका आईपीओ 95 रुपए के मूल्य पर आया था और उसने 36.26 गुना ओवर-सब्सक्राइब होने का रिकॉर्ड बनाया था। कंपनी ने 5 रुपए अंकित मूल्य के 145 लाख शेयर जारी करके 137.75 करोड़ रुपए जुटाए थे। तब से लेकर आज तक आजतक हफ्ते-दो हफ्ते इधर-उधर होने के अलावा लगातार देश का नंबर-1 न्यूज चैनल बना हुआ है। उसे विज्ञापन भी जमकर मिलते हैं। लेकिन छह साल आठ महीने बाद भी उसके शेयधारकों को कुछ नहीं मिला है। शेयर का भाव अब 89.25 रुपए पर डोल रहा है। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम भाव 151.80 रुपए (4 दिसंबर 2009) और न्यूनतम भाव 76.10 रुपए (3 नवंबर 2009) रहा है।
ऐसा नहीं है कि कंपनी ने कोई बोनस-वोनस दिया हो। हां, पिछले कई सालों से वह प्रति शेयर 75 पैसे का लाभांश जरूर देती रही है। किसी ने इसके 100 शेयर 9500 रुपए में लिए होंगे तो उसे साल भर में 75 रुपए मिल जाते हैं। यही 9500 रुपए उसने बैंक की एफडी में लगाए होते तो 7 फीसदी सालाना की दर से भी उसकी रकम अब तक लगभग 15,000 रुपए हो गई होती, जबकि यहां लाभांश को जोड़ देने के बाद भी उसकी रकम घटकर 9000 रुपए रह गई है। यह है जोखिम शेयर बाजार में पैसे लगाने का। जब आजतक जैसे नामी-निरामी चैनल को चलानेवाली मशहूर कंपनी टीवी टुडे नेटवर्क में भी आपकी रकम उड़ सकती है तो औरों की बात ही क्या? इसलिए शेयर बाजार में नाम नहीं, काम-धंधे और नामे का ध्यान रखना चाहिए।
टीवी टुडे नेटवर्क (टीवीटीएन) घाटे में तो नहीं है। लेकिन उनके मुनाफे में भयंकर कमी आई है। जून 2010 की तिमाही में उसकी आमदनी 65.01 करोड़ रही है, जबकि खर्च रहा है 64.82 करोड़ तो उसका सामान्य लाभ हुआ केवल 18 लाख रुपए यानी आजतक के किसी एग्जीक्यूटिव प्रोड्सूयर की सालाना तनख्वाह के बराबर। जबकि जून 2009 की तिमाही में उसकी आमदनी 71.04 करोड़ और खर्च 56.17 करोड़ रुपए था और इस तरह का उसका सामान्य लाभ 14.87 करोड़ रुपए था। खर्च बढ़ने की प्रमुख वजह कर्मचारियों या प्रोडक्शन का खर्च नहीं, बल्कि कंपनी के विज्ञापन, मार्केटिंग व वितरण खर्च में 5.89 करोड़ रुपए का इजाफा है।
कंपनी के साथ एक समस्या और है कि उनसे जहां न तहां हाथ-पैर फैला लिए, जिसके चलते उस पर बोझ बढ़ गया। जैसे, 2006 में इंडिया टुडे ग्रुप ने ठीक-ठाक चल रहा रेड एफएम दूसरे को बेच दिया, लेकिन अगले साल अप्रैल 2007 में रेडियो का यह धंधा चलानेवाली कंपनी रेडियो टुडे ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड का विलय टीवीटीएन में कर दिया। दिल्ली, कोलकाता से लेकर मुंबई तक में मियांव एफएम लांच करने के मंसूबे पाले गए। लेकिन रेडियो का धंधा अब कंपनी के गले का फंदा बन गया है। 2009-10 में अकेले इसके चलते उसके कर-पूर्व लाभ में 29.1 करोड़ रुपए की सेंध लगी। बता दें कि टीवीटीएन आजतक के अलावा, तेज, दिल्ली आजतक और हेडलाइंस टुडे चैनल चला रही है।
कंपनी के शेयर बीएसई (कोड – 532515) और एनएसई (कोड – TVTODAY) में लिस्टेड हैं। उसकी बुक वैल्यू 52.72 रुपए है और ठीक पिछले बारह महीनों के ईपीएस 2.63 रुपए को देखते हुए इतने कम भाव पर भी उसके शेयर का मौजूदा पी/ई अनुपात 33.88 है। खैर, एनडीटीवी और टीवी18 की दशा तो इससे भी खराब है। वैसे, एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने हाल ही टीवीटीएन के प्रबंधन से बातचीत के आधार पर बताया है कि कंपनी अपने धंधे को व्यवस्थित कर रही है। इसके तहत एक तो वह झंडेवालान के किराए के दफ्तर से कुछ महीनों के भीतर अपनी खुद की बिल्डिंग में जा रही है। इससे जहां उसका 11.5 करोड़ रुपए का किराया बचेगा, वहीं वह अपनी ढाई लाख वर्गफुट की बिल्डिंग का कुछ हिस्सा किराए पर देकर अतिरिक्त कमाई भी कर लेगी।
एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने 6 सितंबर 2010 को जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में ऐसा संकेत दिया है कि कंपनी का भविष्य अच्छा है। लेकिन ऐसा कहने के दो दिन बाद 8 सितंबर 2010 को ही उसी के समूह के एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ने बल्क डील में टीवी टुडे नेटवर्क के 3.12 लाख शेयर 90.74 रुपए के भाव से बेच डाले। हां, एक बात चलते-चलते नोट करें कि टीवी टुडे नेटवर्क के कुल खर्च में कर्मचारी लागत का हिस्सा 28.6 फीसदी, प्रोडक्शन लागत 12.4 फीसदी और प्रशासनिक व अन्य (विज्ञापन, मार्केटिंग वगैरह) लागत का हिस्सा सबसे ज्यादा 39.3 फीसदी है। एक बात और, पारदर्शिता की स्थिति यह है कि लिस्टेड कंपनी होने के बावजूद टीवीटीएन ने अभी तक अपनी कोई अलग वेबसाइट नहीं बनाई है।
TV Today should have been awarded with ” The Dirtiest Stock of the Decade” .