प्रधानमंत्री को 9 लाख का चेक भेज पूछा केजरीवाल ने: सज़ा काहे की!

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उधर फ्रांस के कान शहर में हो रहे जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में मशगूल हैं। इधर यूपीए सरकार के हमलों से आहत सामाजिक कार्यकर्ता और टीम अण्णा के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने उन्हें एक करारा खत लिखा है। इस खत के साथ उन्होंने सरकार की तरफ से दावा किए गए 9 लाख 27 हज़ार 787 रुपए का चेक भी भेज दिया है। लेकिन कहा है कि उन्हें अभी तक अपनी गलती नहीं पता है जिसके लिए सरकार उनसे यह वसूली करना चाहती है।

बता दें कि अरविंद केजरीवाल पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी थे जहां से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने सामाजिक काम शुरू किया है। लेकिन फरवरी 2006 में दिया गया उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं हुआ है। सरकार का कहना है कि केजरीवाल ने सेवा में तीन साल पूरे होने से पहले ही सेवा छोड़ दी और पूरे वेतन पर अध्ययन अवकाश लेकर अनुबंध नियमों का उल्लंघन किया है। इसी के मुआवजे के बतौर उसने केजरीवाल से 9 लाख रुपए से ज्यादा का हर्जाना मांगा है। दूसरी तरफ केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने अवैतनिक अवकाश लिया था और अनुबंध की शर्तो को पूरा करने के बाद सेवा छोड़ी थी।

केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को लिखे चार पन्नों के पत्र में कहा, “मैं पत्र के साथ 9 लाख 27 हज़ार 787 रुपए का चेक भी भेज रहा हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैंने गलती मानी है। जब मुझे यही नहीं पता कि मैंने क्या गलती की है, तो उसे मानने का सवाल ही नहीं उठता। मैं इस राशि को विरोध के तौर पर लौटा रहा हूं। मैं आपसे अपील करता हूं कि आप गृह मंत्री को मेरा इस्तीफा मंजूर करने का निर्देश दें। मेरा इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद मेरे पास इस राशि को वापस लेने के लिए अदालत जाने का अधिकार होगा।”

केजरीवाल ने बताया है कि उनके पास कोई बचत नहीं है और भुगतान के लिए उन्होंने अपने छह मित्रों से उधार लिया है। इन मित्रों में इस साल का मैग्सेसे पुरस्कार जीतनेवाले हरीश हांडे भी शामिल हैं। हांडे आईआईटी खड़गपुर में केजरीवाल से एक साल जूनियर थे और दोनों एक ही हॉस्टल में तीन साल साथ रहे है। केजरीवाल ने कहा कि कई लोगों ने उन्हें पैसे देने की पेशकश की। लेकिन उन्होंने नहीं लिया क्योंकि इसका आशय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का दुरुपयोग होना निकाला जा सकता था। उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने उन लोगों से कर्ज लिया जिन्हें मैं कई साल से जानता हूं। पूरी सरकारी मशीनरी टीम अण्णा के पीछे पड़ी है। मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि आपकी सरकार उन लोगों को परेशान नहीं करे जिन्होंने मुझे कर्ज दिया है।”

गौरतलब है कि केजरीवाल ने राजस्व सेवा के दौरान 1 नवंबर 2000 को दो साल के लिए पूरे वेतन पर अध्ययन अवकाश लिया था। उन्होंने एक बांड पर दस्तखत किए थे जिसके मुताबिक यदि वे अध्ययन अवकाश के तीन साल के भीतर इस्तीफा देते हैं या रिटायर होते हैं या सेवा पर नहीं लौटते तो उन्हें पूरा वेतन लौटाना होगा। केजरीवाल 1 नवंबर 2002 को दो साल का अध्ययन अवकाश पूरा होने पर फिर से दफ्तर में पहुंचे। लेकिन 18 महीने काम करने के बाद बाद बिना वेतन के छुट्टी ले ली।

सरकार का कहना है कि 18 महीने बाद छुट्टी लेना बांड की शर्तों का उल्लंघन था। केजरीवाल ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने बांड के किसी प्रावधान को नहीं तोड़ा और अध्ययन अवकाश के बाद फिर से सेवा पर लौटने के तीन साल बाद फरवरी 2006 में नौकरी से इस्तीफा दिया था। इस बीच जन लोकपाल बिल को लेकर अण्णा हज़ारे का अनशन शुरू होने से पहले मुख्य आयकर आयुक्त कार्यालय ने 5 अगस्त 2011 को केजरीवाल को नोटिस जारी कर दिया और 9.27 लाख रुपए का हर्जाना जमा करने को कहा। इसे केजरीवाल और टीम अण्णा के अन्य सदस्यों ने राजनीतिक आकाओं के कहने पर सरकारी विभाग की कार्रवाई करार दिया।

केजरीवाल ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा है, “आपकी सरकार मुझसे पूछ रही है कि बिना वेतन के दो साल की छुट्टियों में मैंने क्या किया। इस अवधि में मैंने आरटीआई का मसौदा तैयार किया था। मैग्सेसे पुरस्कार जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मुझे इसी अवधि में मिले जब मैं छुट्टी पर था। लेकिन सरकार की नजर में यह गलत है और वह गलत काम करने का आरोप लगा रही है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि बिना वेतन के छुट्टियों के दौरान आरटीआई के लिए काम करते वक्त मैंने क्या अपराध किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं मैंने क्या गलत किया।”

केजरीवाल ने लिखा है, “मुझे बताया गया है कि इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मेरी फाइल देखी है और उसे भी मैं गलत लगता हूं। मुझे समझ नहीं आया कि मैंने क्या अपराध किया जिसके लिए मुझे दंडित किया जा रहा है। क्या कोई मुझे बता सकता है कि मैंने क्या गलत किया, ताकि मैं भविष्य में ऐसा न करूं।”

[केजरीवाल का पत्र]

1 Comment

  1. परेशान तो सब हैं, परंतु आम आदमी भी अब अण्णा के साथ है, इसलिये सरकार दबाब में है, और टीम अण्णा पर अनाप शनाप बयान बाजी कर रही है।

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