सपरिवार तीन दिन की छुट्टियां। शहर से बाहर, पास के दूसरे शहर में। घरवालों ने मना किया कि इन दिनों में काम नहीं करना। फिर भी लैपटॉप व एमटीएस का कनेक्शन साथ ले गया कि दिन में घंटे-दो घंटे काम कर ही लेंगे। लेकिन एमटीएस का कनेक्शन लाख जतन के बावजूद जुड़ न सका और मेरी झल्लाहट एमटीएस के विज्ञापन की वो छवियां बढ़ाती रहीं जो उसकी स्पीड का महिमागान करती हैं। समझ में आ गया कि विज्ञापन माल बेचने के लिए पेश किया तीन-चौथाई झूठ है और छवि बनाने के लिए हर मीडिया को अपने हिसाब से मरोड़ा जाता है। नहीं तो क्या तुक है कि जो कंपनी लगातार पांच तिमाहियों से पतन की ढलान पर गिरते-गिरते घाटे में आ चुकी हो, उसके बारे में इक्रा जैसे रेटिंग एजेंसी अलग से रिपोर्ट जारी करे। लेकिन धंधा है तो सब चलता है।
प्रिज्म सीमेंट ने सितंबर 2010 की तिमाही में 4.60 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। उसके बाद दिसंबर 2010 की तिमाही में उसे 38 लाख, जून 2011 की तिमाही में 9.97 करोड़ और सितंबर 2011 की तिमाही में 79.09 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। सितंबर में तो उसका कर-पूर्व घाटा 114.89 करोड़ रुपए का है और 35.80 करोड़ की कर-छूट लेने के बाद उसका शुद्ध घाटा 79.09 करोड़ पर आया है। इक्रा ने हफ्ते भर पहले 1 नवंबर को जारी इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट में बताया है कि इतना घाटा इसलिए हुआ है क्योंकि कंपनी ने 44 फीसदी ज्यादा डेप्रिसिएशन या मूल्य-ह्रास दिखाया है और ब्याज का बोझ उस पर 115 फीसदी बढ़ गया है।
कमाल की बात है कि इक्रा ने प्रिज्म सीमेंट को फंडामेंटल मजबूती में 5 में से 4 का ग्रेड दिया है जिसका मतलब काफी मजबूती होता है, जबकि शेयरों के मौजूदा मूल्य का उसने एकदम ठीकठाक माना है। प्रिज्म सीमेंट का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर गुजरे शुक्रवार को बीएसई (कोड़ – 500338) में 5.13 फीसदी बढ़कर 46.15 रुपए और एनएसई (कोड – PRISMCEM) में 5.24 फीसदी बढ़कर 46.20 रुपए पर बंद हुआ है। ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस ने भी राजन रहेजा की इस कंपनी को 10 में 9 का फंडामेंटल स्कोर दे रखा है।
जाहिरा तौर पर इक्रा जैसी प्रमुख एजेंसी या एडेलवाइस जैसी बड़ी ब्रोकरेज फर्म के मूल्यांकन को चुनौती देना हम जैसी सीधी-सरल दृष्टि वाले को शोभा नहीं देता। लेकिन तथ्य बताते हैं कि प्रिज्म सीमेंट जैसी कंपनियां धंधे में भले ही करामात दिखा जाएं, लेकिन शेयरों के मामले में ये दीर्घकालिक निवेशकों के भरोसे को मटिमामेट कर देती हैं। जो भी निवेशक जनवरी 2007 में प्रिज्म सीमेंट का शेयर 45.75 रुपए के भाव पर लेकर बैठा होगा, वह उस घड़ी को कोस रहा होगा, जब उसने ये निवेश किया था क्योंकि करीब पांच साल में यह शेयर बमुश्किल एक रुपए का फायदा दे रहा है। आखिर निवेशकों को इस कदर पस्त कर देनेवाला स्टॉक फंडामेंटल स्तर पर मजबूत कैसे हो सकता है? जो शेयर कंपनी के ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) के शून्य से नीचे चले जाने के चलते अनंत पी/ई पर ट्रेड हो रहा हो, उसके मूल्य को ठीकठाक या वाजिब कैसे माना सकता है?
बता दें कि प्रिज्म सीमेंट 1992 में बनी कंपनी है और सीमेट, रेडीमिक्स कांक्रीट व सिरैमिक टाइल्स बनाती है। उसका सीमेंट संयंत्र सतना (मध्य प्रदेश) में है जिसकी सालाना उत्पादन क्षमता 56 लाख टन है। वह कुरनूल (आंध्र प्रदेश) में 1100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 48 लाख टन सालाना क्षमता का एक नया संयंत्र लगा रही है जिसके वित्त वर्ष 2014-15 के मध्य तक पूरा कर लेने की योजना है। इसके बाद कंपनी की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता 104 लाख टन सालाना हो जाएगी। कंपनी ने टाइल्स के धंधे को 1958 से चली आ रही कंपनी एच एंड आर जॉनसन के अधिग्रहण से जमाया है। साथ ही रेडीमिक्स कांक्रीट में उसने आरएमसी रेडीमिक्स इंडिया प्रा. लिमिटेड का अधिग्रहण किया है।
इक्रा की रिसर्च रिपोर्ट का कहना है कि सीमेंट डिवीजन का क्षमता विस्तार निकट भविष्य में कंपनी के मजबूत विकास का आधार बनेगा। लाइम स्टोन व फ्लाई ऐश जैसे कच्चे माल के स्रोतों से नजदीकी उसकी लागत को कम करने में मददगार होगी। कुरनूल का नया संयंत्र उसकी लाभप्रदता बढ़ाएगा और टाइल्स व रेडीमिक्स कांक्रीट बिजनेस को आपस में मिलाने से लंबी अवधि में कंपनी को काफी फायदा होगा। औपचारिकता निभाते हुए रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि सीमेंट की मांग व क्षमता इस्तेमाल का कम स्तर कंपनी पर दबाव बनाए रख सकता है। बिजली से लेकर कोयला व परिवहन लागत कंपनी के लाभ मार्जिन पर नकारात्मक असर डाल सकती है। आदि-इत्यादि।
कंपनी की इक्विटी 503.36 करोड़ रुपए है। इसका मात्र 25.13 फीसदी हिस्सा ही पब्लिक के पास है, जबकि बाकी 74.87 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। आपको पता ही होगा कि किसी भी लिस्टेड कंपनी में पब्लिक की न्यूनतम हिस्सेदारी 25 फीसदी होनी चाहिए। इसलिए आगे दो ही रास्ते हैं। एक यह कि प्रिज्म सीमेंट किसी तरह से पब्लिक इश्यू लाकर पब्लिक की हिस्सेदारी बढ़ा दे। दूसरा यह कि प्रवर्तक बाजार से थोड़ी और इक्विटी खरीदकर कंपनी को डीलिस्ट करा दें। तीसरा यह कि त्रिशंकु वाली वर्तमान स्थिति को बनाए रखा जाए। तीनों ही विकल्प दीर्घकालिक निवेशकों के लिए अच्छे नहीं हैं। इसलिए इस कंपनी से दूर रहने में ही भलाई है।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि प्रिज्म सीमेंट में आम पब्लिक ज्यादा फंसी नहीं है। पब्लिक की श्रेणी में एफआईआई का निवेश घटने के बावजूद सितंबर 2011 के अंत तक 4.89 फीसदी और डीआईआई का निवेश 1.42 फीसदी है। इस तरह बाकी पब्लिक के पास केवल 18.82 फीसदी शेयर ही बचते हैं। इसमें भी 1,08,433 छोटे निवेशकों के पास 7.20 फीसदी इक्विटी है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,11,061 है।