इस साल जनवरी में जिसने भी जयप्रकाश एसोसिएट्स का शेयर 160-165 रुपए के भाव पर खरीदा होगा, वह इस समय वाकई दुखी होगा। उसका दुख स्वाभाविक है कि क्योंकि यह शेयर 1 सितंबर 2010 को अपने 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 107.65 रुपए पर आ चुका है। इस तरह यह शेयर अब तक 35 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है, जबकि इसी दौरान बीएसई सेंसेक्स 4.5 फीसदी बढ़ा है। जिसने यह शेयर पिछले साल अक्टूबर में 180 रुपए के आसपास खरीदा होगा, वह भी भावों में 40 फीसदी से ज्यादा कमी से परेशान होगा। हालांकि कंपनी दिसंबर में दो पर एक बोनस शेयर दे चुकी है तो उसका घाटा काफी कम है।
यह सेंसेक्स में शामिल शेयर है और पिछले कुछ दिनों से इसमें हलचल बढ़ गई है। कल इसमें औसत से लगभग दोगुना कारोबार हुआ। शेयर बीएसई (कोड – 532532) में 1.67 फीसदी बढ़कर 118.60 रुपए और एनएसई में (JPASSOCIAT) में 1.50 फीसदी बढ़कर 118.40 रुपए पर बंद हुआ है। सवाल यह है कि किया क्या जाए? क्या इसमें बने रहा जाए, घाटा उठाकर भी निकल लिया जाए या नई खरीद से एवरिंज कर ली जाए जिसके कुल शेयरों का औसत दाम थोड़ा कम हो जाए?
असल में कंपनी की लाभप्रदता को देखें तो मामला एकदम चौकस है। वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 10,316.04 करोड़ रुपए की आय पर 1708.36 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस तरह उसका शुद्ध लाभ मार्जिन 16.56 फीसदी था। इस साल जून की पहली तिमाही में भी उसका शुद्ध लाभ मार्जिन 16.05 फीसदी है और उसने 3214.47 करोड़ की आय पर 515.98 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसका परिचालन लाभ मार्जिन भी इस दौरान 39.80 और 37.27 फीसदी रहा है। उसका 2009-10 का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 8.08 रुपए, जबकि ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस 8.15 रुपए है।
लेकिन इतने अच्छे मार्जिन और लाभ के बावजूद उसका ईपीएस कम इसलिए है क्योंकि उसकी इक्विटी पूंजी 424.93 करोड़ रुपए की है। यह दो रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसलिए शुद्ध लाभ को कुल शेयरों की संख्या 212.47 करोड़ से भाग देना होगा और नतीजतन ईपीएस का पटरा हो जाता है। शेयर की बुक वैल्यू अभी 41.04 रुपए है। इस तरह जयप्रकाश एसोसिएट्स का शेयर अपनी बुक वैल्यू से 2.9 गुने और ईपीएस से 14.55 गुने यानी पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इधर पिछले महीने 7 अगस्त को छह लोगों ने कंपनी के 82,750 शेयर एकमुश्त खरीदे हैं।
बता दें कि कंपनी का नाम पहले जयप्रकाश इंडस्ट्रीज का था। जेपी सीमेंट के विलय के बाद इसका नाम जयप्रकाश एसोसिएट्स हुआ है। करीब चार दशक पुराना समूह है। कंपनी जल विद्युत व सीमेंट से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक का काम करती है। चेयरमैन मनोज गौड़ के मुताबिक कंपनी को इस साल अकेले सीमेंट से 6000 करोड़ रुपए का कारोबार हासिल होगा। अभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिस यमुना एक्सप्रेस हाईवे को लेकर किसानों ने बवाल मचाया था, उसका ठेका इसी कंपनी को मिला हुआ है। कंपनी के राजनीतिक संपर्क बड़े ऊंचे-तगड़े हैं।
जानकार कहते हैं कि मौजूदा भाव पर इसे साल-डेढ़ साल के निवेश के लिहाज से खरीद लेना चाहिए और जो लोग इसे पहले खरीद चुके हैं, उन्हें निर्भय होकर इसमें बने रहना चाहिए। इस शेयर को घाटा खाकर बेचने का कोई तुक नहीं है। हालांकि कॉरपोरेट संस्कृति और लोकतंत्र के बारे में यह समूह अच्छा नहीं है। जो इसके शेयरधारक हैं वो कंपनी से मिले कागजात में देख सकते हैं कि कंपनी कैसे एक डायरेक्टर की रिश्तेदार तक को अलग से वेतन देती है और बाकायदा उसका वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास करवाती है। मैं तो व्यक्तिगत स्तर पर ऐसी कंपनी से दूर ही रहना पसंद करूंगा। लेकिन निवेश भावना के आधार पर नहीं, दिमाग लगाकर फायदा-नुकसान देखकर किया जाता है। इस लिहाज से जयप्रकाश एसोसिएट्स रेस का अच्छा घोड़ा है।