मैं कोई लंबी-चौड़ी बात नहीं करता। क्या करूं! लंबी नहीं, छोटी नजर है अपनी। साल-दो साल भी नहीं, दस-पंद्रह दिन की सोचता हूं। किसी की टिप्स नहीं, ठोस खबरों पर काम करता हूं। इन्हीं के आधार पर आपको बता रहा हूं कि जागरण प्रकाशन में तेजी आनेवाली है। इसका शेयर दस-पंद्रह दिन में 110 रुपए को पार कर सकता है। यानी, इसमें खटाखट दस फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है। पांच फीसदी तो कहीं नहीं गया।
जागरण प्रकाशन का दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल, 23 जनवरी 2012 को बीएसई (कोड – 532705) में 98 रुपए और एनएसई (कोड – JAGRAN) में 98.15 रुपए पर बंद हुआ है। बी ग्रुप का मिड कैप स्टॉक है। लिक्विडिटी या तरलता ठीकठाक है। इसलिए खरीदने-बेचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। जैसे, कल बीएसई में इसके 3524 शेयरों में ट्रेडिंग हुई, जिसमें से 66.60 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 9033 शेयरों में से 60.80 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
एक बात नोट कर लें कि डिलीवरी का अनुपात ज्यादा होने का मतलब उसमें हवा-हवाई नहीं, बल्कि सही निवेशक आ रहे हैं। वैसे एक बात और बता हूं कि जब भी आप खरीदने जा रहे हों तो थोड़ा रुककर कल्पना कर लीजिए कि बेच कौन रहा होगा। या, बेच रहे हों तो सोच लीजिए कि खरीद कौन रहा होगा। शेयर बाजार में निवेश टेनिस के मैच जैसा है। कोई दबाता है तो कोई उठाता है। हमेशा सामनेवाले पक्ष की धारणा को सोचकर चलेंगे तो बेवजह की भावुकता और तमाम तरह की मूर्खता से बच जाएंगे।
खैर, जागरण प्रकाशन में सच्चे निवेशकों की दिलचस्पी इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि करीब महीने भर पहले 22 दिसंबर 2011 को इसने 90.20 रुपए पर 52 हफ्ते का बॉटम पकड़ा था। उसके बाद दो शुक्रवार को यह उठने की भरपूर कोशिश कर चुका है। पहली बार 30 दिसंबर 2011 को जब यह ऊपर में 103.80 रुपए तक चला गया था। और, दूसरी बार पिछले हफ्ते 20 जनवरी 2012 को, जब यह 102.60 रुपए तक चला गया था। फिलहाल 98 रुपए पर है। इस स्तर पर खरीदना इसे घाटे का सौदा नहीं है।
कंपनी प्रिंट मीडिया में देश में सबसे ज्यादा पढा जानेवाला अखबार दैनिक जागरण का प्रकाशन करती है। हिंदी इलाके का निर्विवाद नेता है यह अखबार। कई बार लगा कि दूसरे अखबार इसे दबा ले जाएंगे। लेकिन समय की नब्ज को पकड़ने में प्रबंधन की दक्षता और परंपरा से मिले खांटी बनियापन ने कभी इस समूह को दबने नहीं दिया। हां, यह जरूर है कि लंबे समय तक इस समूह के पर्याय रहे स्वर्गीय नरेंद्र मोहन गुप्ता जी बड़े ही खड़ूस किस्म के व्यक्ति थे। कहा जाता है कि अखबार में संपादक से लेकर स्वीपर तक को ट्रेनी रखते थे।
लेकिन उनके बाद समूह की बागडोर संभालने वाले संजय गुप्ता 24 कैरेट के प्रोफेशनल हैं। मौके को ताड़ना और धंधा करके निकल जाना उनकी फितरत है। टेलिविजन न्यूज़ का हल्ला उठा तो चैनल-7 बना डाला और घाटे के दलदल में फंसे बगैर उसे टीवी-18 ग्रुप को बेच डाला और मजे में मुनाफा कमाकर निकल गए। जागरण की साइट याहू को बेचकर फायदा कमाया। नई पीढ़ी को लक्ष्य करना हुआ तो आई-नेक्स्ट का प्रयोग कर डाला।
यह सच है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी का धंधा अच्छा नहीं चल रहा। जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 10.58 फीसदी घटा था। सितंबर तिमाही में भी इसमें 17.53 फीसदी की कमी आ गई। सितंबर तिमाही में उसकी आय 10.32 फीसदी बढ़कर 305.41 करोड़ रुपए हो गई। लेकिन कच्चे माल की लागत व ब्याज अदायगी बढ़ने से मुनाफा घटकर 45.78 करोड़ रुपए पर आ गया। कंपनी ने बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में 1115.32 करोड़ रुपए की आय पर 205.83 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया था और उसका ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 6.51 रुपए था।
अभी ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) में कंपनी का ईपीएस 6.01 रुपए रहा है और इस आधार पर उसका शेयर फिलहाल 16.3 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह शेयर दो साल पहले जनवरी 2010 में 51.87 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। इससे इसके बढ़ सकने की सीमा का अंदाज लगाया जा सकता है। कंपनी का नियोजित पूंजी पर रिटर्न 35.17 फीसदी और नेटवर्थ या इक्विटी पर रिटर्न 29.62 फीसदी है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.27 है। इसलिए मेरा कहना है कि इसे लंबे वक्त के लिए भी खरीदा जा सकता है।
जागरण प्रकाशन के टक्कर की एक ही कंपनी है और वो है भास्कर समूह की मालिक डीबी कॉर्प। डीबी कॉर्प का लाव-लश्कर थोड़ा बड़ा है। इसलिए उसकी बिक्री 2010-11 में जागरण से थोड़ी ज्यादा 1261.64 करोड़ रुपए रही है। उसका लाभ मार्जिन भी जागरण से थोड़ा अधिक है। उसका भी शेयर जागरण के लगभग बराबर 16.2 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। लेकिन भास्कर समूह छिछला है, जबकि जागरण समूह में गहराई है। जागरण समूह में व्यापकता है। मिड डे उसका हो चुका है। पंजाबी जागरण अलग से आ चुका है।
जागरण प्रकाशन की कुल 63.25 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 59.51 फीसदी और पब्लिक का हिस्सा 40.49 फीसदी है। पब्लिक के हिस्से में से एफआईआई के पास 11.42 फीसदी और डीआईआई के पास 15.85 फीसदी है। कॉरपोरेट निकायों के पास कंपनी के 8.39 फीसदी शेयर हैं। बाकी बचे 4.83 फीसदी हिस्से में से अनिवासी भारतीयों व ट्रस्टों को निकाल दें तो सचमुच की पब्लिक के पास केवल 4.75 फीसदी शेयर बचते हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 43,881 है। इसमें से 42,465 (96.8 फीसदी) एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं, जिनके पास कंपनी के मात्र 2.15 फीसदी शेयर हैं।