अच्छा हुआ जो दूर से ही देखे तमाशा

खबर के सीमित पहलू होते हैं। लेकिन वित्तीय बाज़ार में उसके असर के असीमित पहलू होते हैं। कल सभी माने बैठे थे कि बाज़ार तो गिरेगा ही गिरेगा और शॉर्ट करना सबसे सही कदम होगा। लेकिन सरकार या उस्तादों ने जो भी सोची-समझी चाल चली हो, बाज़ार अंततः बढ़कर बंद हुआ। सोचिए, इससे शॉर्ट करनेवालों को कितनी तगड़ी मार लगी होगी! इसीलिए अकाट्य नियम है कि खबरों के दिन बाजार से दूर रहें। अब मंगल की दृष्टि…

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