शेयर बाज़ार सरपट दौड़ रहा है। अच्छी कंपनियों के शेयर पहुंच के बाहर। फिर भी निवेशक खरीदे जा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं वे तेज़ी के इस दौर से बाहर न रह जाएं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भी इधर जमकर खरीदने लगे हैं। एक बात तो तय है कि शेयरों के भाव अंततः उनके पीछे उमड़े धन के प्रवाह से निर्धारित होते हैं। लेकिन लोगबाग तो वही शेयर खरीदते हैं जिनका बढ़ना लगभग तय होता है। आखिर कैसे तय होता है कि कौन-से शेयर बढ़ेंगे या गिरेंगे? यह धारणा की बात है जो एक साथ लाखों-लाख निवेशकों के दिलो-दिमाग में बनती और बहती है। यह भी मानी बात है कि शेयरों के भावों के पीछे विज्ञान भी है। हम कंपनी के मौजूदा मुनाफे, उसके धंधे की भावी संभावना और उसे होनेवाली आय की गणना के आधार पर दो-चार साल बाद उसके शेयरों के भाव का अनुमान लगा सकते हैं। लेकिन यह कभी भी सटीक नहीं होता। देश ही नहीं, दुनिया भर का घटनाक्रम शेयर बाज़ार में ज्वार-भाटा ला सकता है। ऐसे में अभी नहीं, हमेशा के लिए शेयर बाज़ार में निवेश की रणनीति यही होनी चाहिए कि जरूरत भर का ही निवेश करें और ज़रूरत पड़ने पर निकाल लें। ज्यादा लालच नहीं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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