आज फंडामेंटल और लांग टर्म गया तेल लेने। आज हम एकदम शॉर्ट टर्म में फायदा दिलानेवाले ऐसे स्टॉक की चर्चा करेंगे जो वित्तीय आंकड़ों के दम पर खास आकर्षण नहीं पैदा करता। लेकिन बाजार के उस्तादों के मुताबिक इसमें मुनाफा कमाने की गुंजाइश पक्की है। आइनॉक्स के मल्टीप्लेक्सों का नाम तो आपने सुना ही होगा। जाकर सिनेमा भी देखा होगा। इसे संचालित करनेवाली कंपनी का नाम है – आइनॉक्स लीज़र। बीते हफ्ते गुरुवार, 11 अगस्त को इसने चालू वित्त वर्ष 2011-12 पहली तिमाही के घटिया नतीजे घोषित किए हैं। फिर भी इसमें निवेश करने में फायदा है।
शुक्रवार को इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532706) में 11.5 फीसदी गिरकर 43 रुपए और एनएसई (कोड – INOXLEISUR) में 0.92 फीसदी गिरकर 43.05 रुपए पर बंद हुआ है। कंसोलिडेटेड नतीजों के आधार पर इसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 74 पैसे है और इसका शेयर 58.18 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। वहीं स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर इसका ईपीएस 1.06 रुपए है और यह 40.57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। जाहिर है कि आइनॉक्स को बाजार कुछ ज्यादा ही भाव दे रहा है। यह काफी महंगा है। वैसे इसने इसी महीने 8 अगस्त 2011 को 38.05 रुपए का न्यूनतम स्तर हासिल किया है, जबकि 52 हफ्ते का उच्चतम भाव 80.25 रुपए का स्तर इसने साल भर पहले 23 अगस्त 2010 को हासिल किया था।
हमारा मानना है कि इसमें मौजूदा स्तर पर निवेश करने से दो महीने में 10 से 20 फीसदी मुनाफा कमाया जा सकता है। 47 से 52 रुपए तक की रेंज है इसकी। दो महीने में जब भी यह स्तर हासिल हो जाए, बेचकर निकल लें। इससे ज्यादा का लालच न करें। बाजार के उस्तादों के मिली जानकारी के आधार पर हम इसके यहां तक पहुंचने की नब्बे फीसदी गारंटी करते हैं। बाकी दस फीसदी चूक की तो गुंजाइश यहां भी है क्योंकि यह कोई बैंक एफडी नहीं, शेयर बाजार है बंधु, जहां अनिश्चितता के हिंडोले पर सबको झूलना ही पड़ता है। जोखिम सबसे ज्यादा है, तभी तो फायदा भी सबसे ज्यादा मिलने की गुंजाइश रहती है।
जून 2011 की तिमाही में आइनॉक्स लीज़र की बिक्री 99.50 करोड़ रुपए रही है जो जून 2010 की तिमाही की बिक्री 79.91 करोड़ रुपए से 24.52 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इस दरम्यान उसका शुद्ध लाभ 3.52 करोड़ रुपए से 11.93 फीसदी घटकर 3.10 करोड़ रुपए पर आ गया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 334.61 करोड़ रुपए की बिक्री पर 6.96 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी के पास 256.24 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। उसकी मौजूदा प्रति शेयर बुक वैल्यू 51.40 रुपए है। इसलिए लांग टर्म के निवेशक भी इसमें धन लगा सकते हैं। लेकिन उस सूरत में कितना रिटर्न मिल सकता है, इसकी कोई गारंटी मैं नहीं दे सकता। उसमें पूरा जोखिम आपका होगा। उठाना चाहें तो उठाएं और न उठाना चाहें तो आपकी मर्जी।
इस समय आइनॉक्स के पास देश के 26 शहरों में 40 मल्टीप्लेक्स और 151 स्क्रीन हैं। कंपनी जोधपुर, अहमदाबाद, भोपाल, मैंगलोर, कोयम्बटूर, कानपुर, हुबली, भुवनेश्वर जैसे शहरों में विस्तार में लगी है। उसने पांच साल पहले 89 सिनेमाज नाम से पश्चिम बंगाल व असम में मल्टीप्लेक्स चलानेवाली कंपनी कलकत्ता सिने प्रा. लिमिटेड (सीसीपीएल) का अधिग्रहण कर लिया था जिससे सीधे-सीधे इन राज्यों में उसे 9 अतिरिक्त मल्टीप्लेक्स मिल गए थे। आइनॉक्स को गोवा में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए मल्टीप्लेक्स बनाने का अनुबंध भी मिला हुआ है।
आपने शायद गौर नहीं किया होगा कि आइनॉक्स लीज़र खुद गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स लिमिटेड नाम की कंपनी की सब्सिडियरी है। बड़ा आक्रामक अंदाज है आइनॉक्स के काम करने का। करीब डेढ़ साल पहले ही उसने अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी फेम इंडिया की 43.28 फीसदी इक्विटी खरीदी है। यह इक्विटी उसने यूं समझिए कि अनिल अंबानी समूह के मुंह से छीनी थी, जिस पर खूब पंगा भी हुआ था। समूह की एक और लिस्टेड कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स है।
आइनॉक्स लीज़र की कुल इक्विटी 61.54 करोड़ रुपए है। इसका 33.53 फीसदी पब्लिक के पास और बाकी 66.47 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। प्रवर्तकों के हिस्से में 65.62 फीसदी इक्विटी गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स और 0.85 फीसदी आइनॉक्स लीजिंग एंड फाइनेंस के पास है। पब्लिक के हिस्से में से एफआईआई के पास कुछ नहीं, जबकि डीआईआई के पास 0.13 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 45,134 है। इसमें से तीन बड़े शेयरधारकों – रिलांयस कैपिटल (4.20 फीसदी), विवेक कुमार जैन (1.05 फीसदी) और पवन कुमार जैन (1.05 फीसदी) के पास कंपनी के कुल 6.30 फीसदी शेयर हैं। नोट करने की बात यह है कि पवन कुमार जैन और विवेक कुमार जैन आइनॉक्स के निदेशक बोर्ड के सदस्य हैं।