प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा है कि मुद्रास्फीति के दबाव विशेषकर खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत पर अंकुश लगाना नीति-निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रंगराजन ने वडोदरा में फेडरेशन ऑफ गुजरात इंडस्ट्रीज (एफजीआई) द्वारा ‘द ग्रोथ पाथ एंड सम कनसर्न्स आन द वे’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ क्षेत्र हैं जहां नीति-निर्माताओं द्वारा तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। फौरी तौर पर मुद्रास्फीति के दबाव, खासकर खाद्य वस्तुओं की कीमत पर अंकुश लगाना सबसे बड़ी चुनौती है।’’ रंगराजन ने कहा, ‘‘हमें विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर भी नजर रखने की जरूरत है। हमें निम्न स्तर पर मुद्रास्फीति को बनाए रखने को प्रतिबद्ध रहना होगा।’’
उन्होंने कहा कि वे इस विचार से सहमत नहीं हैं कि उच्च आर्थिक विकास दर के लिए उच्च मुद्रास्फीति जरूरी है। बता दें कि पिछले ही हफ्ते पश्चिम बंगाल मे चुनाव प्रचार के दौरान वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि अगर हमें मुद्रास्फीति को नीचे लाना है तो थोड़ी आर्थिक विकास दर की कुर्बानी देनी होगी।
पीएमईएसी के चेयरमैन रंगराजन ने कहा, ‘‘हमें मुद्रास्फीति में कमी लाने और उसे 5 फीसदी के सामान्य स्तर पर बनाए रखने के लिए अनाज बाजार में हस्तक्षेप, राजकोषीय और मौद्रिक नीति जैसी सभी नीतियों का उपयोग करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि दूसरी चिंता भुगतान संतुलन की है क्योंकि चालू खाते का घाटा 2010-11 की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.7 फीसदी के उच्च स्तर पर है। हमें चालू खाते के घाटे को जीडीपी के 2.0 से 2.5 फीसदी के प्रबंधनीय स्तर पर लाना होगा।