शेयर बाज़ार और शेयरों के भाव धन के प्रवाह से चलते हैं। धन का प्रवाह लोगों के पास ज़रूरत के ऊपर इफरात धन से बनता है। इफरात धन खत्म तो शेयर बाज़ार भी खत्म। अब चूंकि वित्तीय जगत ग्लोबल हो गया है तो बेहतर रिटर्न की तलाश में दुनिया भर के लोगों का इफरात धन अच्छे अवसरों की खाक छानता फिरता है। ताज़ा उदाहरण है विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का। जब तक उन्हें लगा कि उनका धन भारतीय शेयर बाज़ार में अच्छा रिटर्न पा सकता है, तब तक वे यहां धन लगाते रहे। लेकिन जैसे ही लगा कि यहां का बाज़ार दुनिया का सबसे महंगा बाज़ार बन गया है, अमेरिका से भी महंगा तो वे यहां से निकलने लगे। दूसरी तरफ चीन का शेयर बाज़ार काफी सस्ता लगा और वहां की सरकार ने अर्थव्यवस्था की बाधाओं को दूर करने के सार्थक उपाय किए तो एफपीआई ने भारत से निकल चीन जाने लगे। यह सिलसिला 27 सितंबर के बाद से बदस्तूर जारी है। उस दिन से शुक्रवार, 8 नवंबर तक एफपीआई हमारे शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट से ₹1,45,296.45 करोड़ निकाल चुके हैं। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 7.44% गिरा है, जबकि चीन का शांघाई कम्पोजिट सूचकांक 20.58% बढ़ चुका है। अब सोमवार का व्योम…
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