विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के भारत से भागने की खास वजह यह भी है कि भारतीय शेयर बाज़ार इस समय पी/ई अनुपात के पैमाने पर दुनिया का सबसे महंगा बाज़ार बन चुका है। हमारे व्यापक शेयर बाज़ार को दर्शाने वाले निफ्टी-500 सूचकांक का पी/ई अनुपात 30 सितंबर को 27.87 था। पिछले कुछ दिनों में गिरने के बावजूद इसका पी/ई अनुपात अभी 26.89 चल रहा है। यह अमेरिका जैसी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पी/ई अनुपात 26.37 तक से ज्यादा है। फ्रांस का पी/ई अनुपात अभी 17.92, ब्रिटेन का 16.34, हांगकांग का 16.33, जर्मनी का 15.18, दक्षिण अफ्रीका का 14.17, जापान का 12.60, चीन का 9.95 और ब्राज़ील का पी/ई अनुपात 9.01 चल रहा है। शेयर बाज़ार मे महंगे स्टॉक्स को बेचकर संभावनाओं से भरे सस्ते स्टॉक्स को खरीद लेने में ही समझदारी है। एफपीआई इस समय ठीक यही कर रहे हैं। वे भारत से अपना धन निकालकर चीन, ब्राज़ील व दक्षिण अफ्रीका जैसे उभऱते ब्रिक्स देशों में लगा रहे हैं। यह सिलसिला पांच तिमाही से चल रहा है। जून तिमाही में निफ्टी-50 सूचकांक में एफपीआई का स्वामित्व मार्च तिमाही के 24.9% से घटकर 24.5% और निफ्टी-500 सूचकांक में 18.7% से घटकर 17.6% पर आ चुका है। अब बुधवार की बुद्धि…
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