इंडिया सिक्यूरिटीज एस्सार समूह की फाइनेंस कंपनी है। केवल बीएसई (कोड – 500204) में लिस्टेड हैं। फिलहाल ऑपरेटर इसे ठोंके पड़े हैं ताकि एकदम नीचे गिराकर इसे बटोरा जा सके। कल, गुरुवार को ही इसे 10.98 फीसदी धुना गया है और यह बुधवार के बंद भाव 49.65 रुपए से सीधे 44.20 रुपए पर पहुंच गया। धुनाई तो इसकी पिछले कई महीनों से चल रही है। अभी महीना भर पहले 8 जून को एक रुपए अंकित मूल्य का यह शेयर 60.85 रुपए पर था। आखिर महीने भर में 27 फीसदी से ज्यादा गिर जाने की वजह क्या है?
सच कहें तो ऑपरेटरों की चाल के अलावा कुछ नहीं, क्योंकि इस दौरान जो भी हुआ है, कंपनी के लिए शुभ-शुभ ही हुआ है। लेकिन आप कहेंगे कि जिस कंपनी ने मार्च 2011 की तिमाही में महज 79.89 लाख रुपए की आय पर 370.81 करोड़ रुपए का घाटा खाया हो, जिसे पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में 3.01 करोड़ रुपए की आय पर 368.77 करोड़ रुपए का जबरदस्त घाटा हुआ हो, उसकी लोग आरती थोड़े ही उतारेंगे। फिर, अगर इतने घाटे में चल रही कंपनी के शेयर को 40 रुपए का भी भाव मिल रहा है तो यह बहुत-बहुत ज्यादा है। इसकी बुक वैल्यू तो महज 1.05 रुपए है और इसे वास्तव में इसी के आसपास होना चाहिए।
लेकिन सामान्य जिंदगी की तरह शेयर बाजार में भी अक्सर जो दिखता है, वैसा होता नहीं। पारदर्शिता के इस जमाने में लिस्टेड कंपनियों की तमाम सूचनाएं सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध रहती हैं। मगर, भेड़चाल में मस्त हम लोग उन्हें देखते नहीं और चालाक खिलाड़ी इसका फायदा उठाकर मजे से खेलते रहते हैं। असल में मार्च 2011 के बाद से इंडिया सिक्यूरिटीज से साथ बहुत-बहुत कुछ बदल चुका है। उसे फरवरी 2012 तक कुल मिलाकर 126 करोड़ डॉलर (करीब 5600 करोड़ रुपए मिलने जा रहे हैं। यह रकम उसे अपनी सौ फीसदी स्वामित्व वाली सब्सिडियरी ईटीएचएल कम्युनिकेशंस होल्डिंग्स द्वारा वोडाफोन एस्सार में अपनी 10.97 इक्विटी हिस्सेदारी बेचने से मिलेगी। यह कोई इनसाइडर सूचना नहीं, बल्कि 1 जुलाई को बीएसई पर कंपनी द्वारा घोषित की जा चुकी है।
दूसरे, इसी ईटीएचएल कम्युनिकेशंस होल्डिंग्स को अब इंडिया सिक्यूरिटीज में मिला दिया जा रहा है। इस विलय के लिए मद्रास हाईकोर्ट की इजाजत मिल चुकी है। शेयरधारकों का अनुमोदन लेने के लिए कंपनी की आमसभा इसी महीने 26 जुलाई 2011 को बुलाई गई है। इस साल मार्च में वोडाफोन ने एस्सार समूह द्वारा इस तरह 10.97 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। एस्सार समूह असल में ईटीएचएल कम्युनिकेशंस होल्डिंग्स का विलय इंडिया सिक्य़ूरिटीज में करके अनलिस्टेड कंपनी वोडाफोन एस्सार में अपनी हिस्सेदारी का बाजार मूल्य आंकना चाहता है।
आप कहेंगे कि इस विलय का क्या फायदा क्योंकि ईटीएचएल कम्युनिकेशंस का धंधा तो महज लाखों में है, जबकि उसका घाटा 370 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन एक तो यह 2009-10 की पुरानी बात है। दूसरे, सौ फीसदी सब्सडियरी होने के कारण इसका असर इंडिया सिक्यूरिटीज के नताजों में समाहित है। तीसरे, इस कंपनी के पास 31 मार्च 2010 की तारीख तक 5042.75 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। और चौथी बात, यह कंपनी अब वोडाफोन की 10.97 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 5600 करोड़ रुपए नए ला रही है। रुइया परिवार का एस्सार समूह इंडिया सिक्यूरिटीज को इतनी पुख्ता जमीन पर खड़ा करने के बाद उसमें आगे क्या-क्या करेगा, यह बाद की बात है। अभी तो मौजूदा स्थिति ही उसके मूल्यांकन को कहीं से कहीं पहुंचा देती है।
शातिर ऑपरेटर इसे देख रहे हैं। इसीलिए इसे अभी जमकर खरीद नहीं रहे, बल्कि सामान्य सौदों से थोड़ा-थोड़ा करके गिराने में लगे हैं। इसे इस स्टॉक के वोल्यूम के पैटर्न से समझा जा सकता है। उनकी रणनीति है कि इसे जितना संभव है, गिरा ले जाओ और बाद में बटोर लो। दिक्कत यह है कि बीएसई बिखरी-बिखरी जानकारी तो देता है। लेकिन उसे इस तरह व्यवस्थित नहीं करता कि आम निवेशकों का सही तस्वीर दिख सके।
जैसे, बीएसई के मुताबिक मार्च 2011 तक इंडिया सिक्यूरिटीज की कुल इक्विटी 19.96 करोड़ रुपए है जो एक रुपए अंकित मूल्य के इतने ही शेयरों में विभाजित है और इसमें बतौर प्रवर्तक एस्सार कैपिटल की 74.22 फीसदी हिस्सेदारी है। उसके बड़े शेयरधारकों में सुबोध मसकारा के पास 1.81 फीसदी, एमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स के पास 3.64 फीसदी और क्रेस्टा फंड लिमिटेड के पास 1.70 फीसदी शेयर हैं। एफआईआई के पास कंपनी के कुल 7.46 फीसदी शेयर हैं, जबकि डीआईआई के पास 0.02 फीसदी।
लेकिन यह स्थिति अब पूरी तरह बदल चुकी है। 31 मई 2011 तक बनी तस्वीर यह है कि इंडिया सिक्यूरिटीज की कुल इक्विटी करीब पांच गुना 87.58 करोड़ रुपए हो चुकी है जो एक रूपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 74.98 फीसदी प्रवर्तकों (एस्सार समूह) के पास है। एफआईआई व विदेशी निवेशकों के पास उसके 21.37 फीसदी और डीआईआई के पास 0.50 फीसदी शेयर हैं। इसके बाद बचते हैं मात्र 3.15 फीसदी शेयर है। इतना ही है कि 3871 करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण वाली लार्ज-कैप कंपनी का असली फ्री फ्लोट जिसका बाजार मूल्य बनता है मात्र 121.94 करोड़ रुपए, हालांकि जिसे बीएसई 1161 करोड़ रुपए बताए जा रहा है।
इस बीच इंडिया सिक्यूरिटीज में जून के बाद भी शेयरों की बड़ी खरीद की घोषणाएं होती रही हैं। जैसे बीएसई पर घोषित सूचना के मुताबिक 10 जून को प्राइम इंडिया इनवेस्टमेंट फंड ने कंपनी के 8.33 करोड़ शेयर लिए हैं और इस तरह उस मौजूदा 87.58 करोड़ रुपए की इक्विटी का 9.51 फीसदी हिस्सा हासिल कर लिया। इसी तरह 15 जून को पैसेज टू इंडिया मास्टर फंड को 8.44 करोड़ शेयर मिले जो कंपनी की इक्विटी का 9.64 फीसदी हैं।
30 जून 2011 तक बना कंपनी की शेयरधारिता का वास्तविक पैटर्न हफ्ते-दस दिन में सामने आ जाएगा। फिलहाल हमने कोशिश की है कि इंडिया सिक्यूरिटीज की मौजूदा व अद्यतन स्थिति आपके सामने पेश कर दी जाए। बाकी, शेयर बाजार में निवेश करना सबसे ज्यादा जोखिम से भरा होता है। वैसे, भी बारिश के इस मौसम में फिसलने का डर है तो अच्छे जूते पहनकर चलिए और हां, छाता साथ लेना कभी न भूलिए।
thanks anil ji for publishing my report once again on your portal , my only motto is to find such hidden gens which so called white collar analyst don’t want to share with small investor .
i will keep you reporting about such hidden gems.
thanks
amit
Amit Kumarji please report something about your recent 2 picks i.e TCI Finance and Madhusudan Securities. Both of them are languishing heavily in which investors have incurred heavy losses. Are you intact with your targets?