अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया के तमाम देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने का जो अभियान इस साल 2 अप्रैल के ‘लिबरेशन दिवस’ से शुरू किया, उससे पहले ही मोदी सरकार ने अमेरिका के मनभावन फैसले लेने शुरू कर दिए थे। वो तब तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क 110% से घटाकर 15% करने और डिजिटल विज्ञापनों पर लग रहा 6% गूगल टैक्स खत्म करने का ऐलान कर चुकी थी। ट्रम्प ने जवाबी टैरिफ की घोषणा की तो चीन जैसे तमाम देशों ने उसका माकूल जवाब दिया। लेकिन भारत भीगी बिल्ली बना रहा। इससे ट्रम्प मनबढ़ होता चला गया। अब अमेरिका ने भारत पर चीन से भी ज्यादा 50% टैरिफ लगा दिया है। चीन के आयात पर 30% टैरिफ है तो यूरोपीय संघ, जापान व दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों के अलावा वियतनाम, बांग्लादेश, श्रीलंका, ताइवान, मलयेशिया, इंडोनेशिया, फिलापींस व पाकिस्तान तक पर 15% से 20% ही है। इसके पीछे ट्रम्प का कोई आर्थिक मकसद नहीं, बल्कि राजनीति है। भारत को भी इसका जवाब राजनीति से देना होगा। हमें पलटवार करना ही होगा। यह हमारी संप्रभुता का मसला है। चीन रेअर अर्थ जैसे खनिजों के आधार पर अमेरिका को झुका सकता है। लेकिन क्या भारत के पास ट्रम्प का जवाब देने के लिए कोई ट्रम्प कार्ड नहीं है? आखिर ब्रिक्स के बाकी देश भी तो अमेरिका से लड़ ही रहे हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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