औसत भारतीय अब भी कर्ज लेने से परहेज करता है। हम अपनी कुल सालाना खरीद का बमुश्किल एक फीसदी हिस्सा क्रेडिट कार्ड से पूरा करते हैं, जबकि दुनिया का औसत 12 फीसदी का है। दूसरी तरफ बैंकों की पहुंच ग्रामीण आबादी तक नहीं बन पाई है। गावों में उधार लेनेवाले 90 फीसदी से ज्यादा लोग स्थानीय सूदखोरों का सहारा लेते हैं। बैंक भी गांवों को उपेक्षित करते हैं। साल 2009 तक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों ने अपनी कुल जमा का 9.3 फीसदी हिस्सा ग्रामीण इलाकों से इकट्ठा किया था, जबकि कुल कर्ज का केवल 7.3 फीसदी हिस्सा गांव के लोगों को उधार दिया। वहीं, महानगरों से उन्होंने अपनी जमा का 56.3 फीसदी हिस्सा हासिल किया, लेकिन कर्ज दिया 67.2 फीसदी।
2010-07-12