किसी के बिना किसी का भी काम नहीं रुकता। सबकी अपेक्षाकृत स्वतंत्र ज़िंदगी है, हिचकोले खा पटरी पर आ जाती है। ऐसे में किसी को जोड़ने का सही तरीका उसे जबरन खीचना नहीं, बल्कि वो जहां है, वहीं उसकी ज़िंदगी को और चमकाने का सूत्र दे देना है।
2012-08-25
किसी के बिना किसी का भी काम नहीं रुकता। सबकी अपेक्षाकृत स्वतंत्र ज़िंदगी है, हिचकोले खा पटरी पर आ जाती है। ऐसे में किसी को जोड़ने का सही तरीका उसे जबरन खीचना नहीं, बल्कि वो जहां है, वहीं उसकी ज़िंदगी को और चमकाने का सूत्र दे देना है।
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