मोदी सरकार चाहे तो भारत को 22 सालों में साल 2047 तक विकसित देश बना सकती है। लेकिन इसके लिए उसे देश के हवाई अड्डों से लेकर बंदरगाहों, खदानों और बहमूल्य रीयल एस्टेट को औने-पौने दाम पर अडाणी को बेचने से बाज आना पड़ेगा और अडाणी व अम्बानी जैसे तमाम अपने चहेते बड़े औद्योगिक समूहो को भारत का निर्यात बढ़ाने के काम में झोंक देना होगा। क्या हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के बड़े कॉरपोरेट समूहों से इतनी भी राष्ट्रभक्ति की उम्मीद नहीं कर सकते? दूसरे विश्व युद्ध के बाद 80 सालों में जिन चार देशों – ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान व सिंगापुर ने विकसित देश बनने का सफर पूरा किया है, उन सभी ने निर्यात की बदौलत ही यह मुकाम हासिल किया है। हालांकि चीन तमाम कोशिशों और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने के बावजूद मध्यम आय के ट्रैप को नहीं तोड़ पाया है। लेकिन भारत दो पायदान छलांग कर निम्न आय से उच्च आय का देश क्यों नहीं बन सकता? सौभाग्य से हमारे पास सेवाओं के साथ ही फार्मास्युटिकल, केमिकल, स्टील व इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों का मजबूत आधार है और विशाल कृषि, खनिज व मानव सम्पदा है। साथ ही समय और वैश्विक हालात भी हमारे लिए काफी माकूल हैं। अब सोमवार का व्योम…
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