यह दास्तान है एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को साल 2007 में 13 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच लगाए करीब 2.38 करोड़ रुपए के फटके की। इसमें चार किरदार हैं। एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की संचालक एसेट मैनेजमेंट कंपनी के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट – इक्विटीज निलेश कापडिया, उनके सहपाठी व ट्रेडर राजीव रमणीक लाल संघवी और संघवी से जुड़े दो अन्य ट्रेडर चद्रकांत पी मेहता और दीप्ति पारस मेहता। निलेश जून 2000 से अभी तक एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की तरफ से शेयरों में निवेश की सारी डीलिंग करता रहा है। राजीव, चंद्रकांत और दीप्ति उसके फ्रंटरनर का काम करते थे।
होता यह था कि म्यूचुअल फंड की तरफ से खरीद करने से पहले निलेश राजीव को बता देता था कि किस कंपनी के कितने शेयर लगभग किस भाव पर खरीदने हैं। इसके बाद राजीव चंद्रकांत व दीप्ति के माध्यम से ये शेयर बीएसई या एनएसई से खरीद लेते थे, जिसे दिन के दिन में कुछ घंटे बाद बढ़े हुए भाव पर एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की तरफ से खरीद लिया जाता था। इस धंधे में इन लोगों में किसी-किसी दिन 18.57 लाख रुपए तक कमाए हैं। कैसे चलता था यह खेल। आइए बानगी देखते हैं।
तारीख 24 अप्रैल 2007। दिन के यही कोई 12 बजकर 20 मिनट हुए थे। निलेश कापडिया राजीव संघवी को फोन करता है।
राजीव संघवी – हेलो…
निलेश कापडिया – आ गया?
राजीव संघवी – हां, 95 कर रहा हूं। हो गया 95, 59425…
निलेश कापडिया – 9425
राजीव संघवी – हां।
निलेश कापडिया – ओके, बीएसई पर 70 है ना?
राजीव संघवी – हां।
निलेश कापडिया – ओके, बोलता हूं।
यह सारी बातचीत सेंचुरी टेक्सटाइल के शेयरों के सौदे की हो रही है। जब यह बातचीत हो रही थी, तब तक राजीव संघवी एनएसई से सेंचुरी टेक्सटाइल्स के 95,000 शेयर खरीद चुका था और बीएसई में दीप्ति मेहता के खाते में सेंचुरी टेक्सटाइल्स के 70,000 शेयर पहले ही खरीदे जा चुके थे। उस दिन राजीव संघवी ने सेंचुरी टेक्सटाइल्स के कुल 1.25 लाख शेयर और दीप्ति मेहता ने 90,000 शेयर खरीदे। कारोबार बंद होने से पहले ये सारे के सारे शेयर एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ने खरीद लिए। राजीव ने औसतन अपनी खरीद 746.2 रुपए पर की थी, जबकि उन्हें बेचा 758.35 रुपए के भाव पर और इस तरह 12.15 लाख रुपए कमा लिए। इसी तरह दीप्ति मेहता के खाते में हुए 90,000 शेयरों के सौदे से 9.69 लाख रुपए बनाए गए।
निलेश कापडिया ने एचएडीएफसी एएमसी में डीलरशिप का काम देखते हुए इन तीन लोगों के सहयोग से इक्रा, ज़ी लिमिटेड, एसबीआई, डिश टीवी, एचटी मीडिया, आईसीआईसीआई बैंक, आरआईएल, आरपीएल, यूनाइटेड फॉस्फोरस, टाटा एलेक्सी, एमटेक ऑटो, टीवी टुडे और भारती एयरटेल जैसे 37 शेयरों में डे-ट्रेडिंग कराई। इस तरह करीब चार महीनों में एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को 2.38 करोड़ रुपए का नुकसान करा दिया। चौंकानेवाली बात यह है कि एचडीएफसी एएमसी की नजर इतने सालों तक कापडिया की करतूतों पर नहीं पड़ी और वह 17 जून 2010 को सेबी का आदेश आने तक अपने पद पर बना हुआ था।
सेबी ने लंबी जांच और सारे साक्ष्यों को जुटाने के बाद इन सभी को शेयर बाजार में कामकाज से प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही नाजायज तरीके के की गई कमाई को इनसे वसूल करने का आदेश भी दिया है। सेबी के पूर्णकालिक निदेशक के एम अब्राहम की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि निलेश कापडिया और एचडीएफसी एएमसी दोनों मिलकर म्यूचुअल फंड को हुए नुकसान की राशि एचडीएफसी म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी के पास जमा कराएंगे। ट्रस्टी निलेश के कामकाज की जांच के लिए एक कमिटी बनाएंगे और पूरी रिपोर्ट छह महीने के भीतर सेबी को सौंपी जाएगी। ट्रस्टी को 17 जुलाई 2010 तक एक रिपोर्ट सेबी के पास जमा करानी है कि वे अपना सिस्टम कैसे दुरुस्त कर रहे हैं।
संलग्न: nilesh-hdfc sebi order