सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार गांधीवादी विरोध के तौरतरीकों को पचा नहीं पा रही है। यही वजह है कि उसने गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे को जंतर मंतर पर कल (बुधवार) को एक दिन विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी। हज़ारे अब टकराव को टालने के लिए महात्मा गांधी की समाधि, राजघाट पर पर अनशन करेंगे।
यह घोषणा हज़ारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी ने की। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं मिलना नागरिकों के मूल संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
हज़ारे और उनके साथी शनिवार रात को रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव के खिलाफ हुई कार्रवाई के विरोध में एक दिन का अनशन करेंगे। गांधीवादी हज़ारे के नेतृत्व में यह अनशन राजघाट परिसर के पास बुधवार सुबह 10 बजे शुरू होगा। इसमें अनशन के साथ ही सर्वधर्म प्रार्थना सभा और लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर चर्चा होगी।
भूषण ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस आयुक्त (बी के गुप्ता) ने हमें बताया कि वहां (जंतर मंतर पर) अनशन की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने हमें वहां नहीं जाने के निर्देश दिए हैं।’’ उन्होंने कहा कि जंतर मंतर नई दिल्ली जिले में आता है जहां धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
भूषण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उनसे (पुलिस से) लड़ नहीं रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि हमने अनशन राजघाट पर करने का फैसला किया है जहां धारा-144 लागू नहीं है। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए अन्यथा लोग अभिव्यक्ति के अन्य तरीके अपनाने लगेंगे।