एकांगी सोच से जीवन में कभी सफलता नहीं मिलती। इसी तरह शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में भी अगर आप केवल अपनी सोचेंगे तो सफल नहीं होंगे। बराबर समझने की कोशिश करें कि अगर आप खरीदने पर आमादा हैं तो सामने कौन है जो बेचने को आतुर है। दोनों को क्यों ऐसा ही करने में फायदा दिखता है! ध्यान रखें कि बाजार में हमेशा ऐसे लोगों का धन उन जानकार व समझदार लोगों के बैंक खातों में जाता है जो नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। इसलिए शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में उतरने के साथ उसके हर पहलू को बारीकी से समझना ज़रूरी है। तभी आपकी ट्रेडिंग पूंजी सुरक्षित रह सकती है और जिसके दम पर आप अपनी धन-दौलत बराबर बढ़ाते रह सकते हैं। ट्रेडिंग का ऐसा ही है एक अहम पहलू है स्टॉक्स का चयन। बाज़ार में इस समय हर दिन करीब 3100 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग होती है। इनमें से अमूमन 1200-1800 के शेयर उठते, 1800-1200 के शेयर गिरते और 90-100 के शेयर ठहरे पड़े रहते हैं। हमें उठनेवाले शेयरों को पकड़ना है क्योंकि गिरते शेयरों में खेलने का जोखिम उठाना हमारे वश की बात नहीं। उठनेवाले शेयरों में भी हम हर तरफ मुंह नहीं मार सकते हैं। हमें अपने माफिक पड़नेवाले 15-20 शेयरों को ही चुनकर उनमें ट्रेडिंग करनी चाहिए। कभी भी अनजान कंपनियों के शेयरों में ट्रेड न करें…
बढ़ते बाज़ार में ही ट्रेडिंग: नोट करने की बात है कि हम एक ही शेयर में बार-बार निवेश नहीं कर सकते। लेकिन एक ही शेयर में बार-बार ट्रेडिंग कर सकते हैं। वजह यह है कि निवेश में हम शेयर के भाव की दीर्घकालिक दिशा पर नज़र रखते हैं, उसकी लाइन को ध्यान में रखते हैं। लेकिन भाव असल में रेखा के रूप में नहीं, बल्कि लहरों के रूप में चलते हैं। उनकी इस अल्पकालिक लहरों के उतार-चढ़ाव को पकड़कर हम ट्रेडिंग में कमा सकते हैं। हमेशा बढ़ते बाज़ार में ही ट्रेडिंग करें। केवल लॉन्ग या खरीदने के सौदें करें। इंट्रा-डे नहीं, केवल स्विंग, मोमेंटम या पोजिशनल ट्रेडिंग करें। जिस दिन भी बाज़ार गिरे या ज्यादा गिरने का अंदेशा हो, उस दिन ट्रेडिंग न करें। गिरते शेयरों में ट्रेडिंग के लिए शॉर्ट करना पड़ता है, जिसके लिए दांव पर बड़ी पूंजी लगानी पड़ती है। गिरते बाज़ार या गिरते शेयरों को ट्रेड करना रिटेल ट्रेडर के वश की बात नहीं। यह भी याद रखें कि हर दिन ट्रेडिंग करना ज़रूरी नहीं। ट्रेडिंग किसी थ्रिल के लिए नहीं, बल्कि एकदम शांत मन से करें। जिस दिन भी मन किसी वजह से बेचैन हो, उस दिन कतई ट्रेडिंग न करें।
कंपनियां जो हों सूचकांक में: केवल उन्हीं कंपनियों में ट्रेड करें जिनमें हर दिन अच्छी-खासी ट्रेडिंग होती हो। इन कंपनियों की शिनाख्त और उन्हें पकड़ने का आसान तरीका है कि उन्हीं कंपनियों के स्टॉक्स में ट्रेड करें जो किसी न किसी सूचकांक में शामिल हैं। ऊपर से शुरू करें। पहले निफ्टी-50 की कंपनियों में मौका तलाशें। उसके बाद नेक्स्ट निफ्टी-50, निफ्टी बैंक, निफ्टी मिडकैप, निफ्टी-100 और निफ्टी-500 पर खोज खत्म कर लें। इसमें भी फिर अगले चरण पर उतर जाएं। नियम बना लें कि आपको हद से हद, ज्यादा से ज्यादा उन्हीं 209 कंपनियों के स्टॉक्स में ट्रेड करना है जो एनएसई की फ्यूचर्स एंड ऑप्शस सूची में शामिल हैं।
जिस कंपनी को आपने चुना है उसके सेक्टर के सूचकांक पर नज़र डाल लें। मसलन, टीसीएस को चुना तो आईटी सूचकांक और उसमें शामिल स्टॉक्स पर नजर दौड़ा लें। फिर एनएसई चार्टिंग या बीएसई चार्टिंग पर जाकर चुने हुए स्टॉक के साप्ताहिक भावों का चार्ट देख लें। क्या इसे देखकर आपको लगता है कि वो स्टॉक इस वक्त उस डिमांड ज़ोन में है जहां संस्थाएं व प्रोफेशनल ट्रेडर/निवेशक खरीद सकते हैं। वैसे, कई बार केवल शेयर का भाव और चार्ट का अंतिम कैंडल ही अपने-आप में बहुत कुछ कह देता है। गांठ बांध लें कि शेयर बाज़ार में वही ट्रेडर बराबर मुनाफा कमाते हैं जो किसी स्टॉक में मांग व सप्लाई के असंतुलन को सही ढंग से पकड़ पाते हैं। यह असंतुलन हमारे-आप जैसे रिटेल ट्रेडरों की खरीद-बिक्री से नहीं, बल्कि बैंक, वित्तीय संस्थाओं व हाई नेटवर्थ व्यक्तियों (एचएनआई) की चाल से बनता है। उस्ताद ट्रेडर इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस से इतर तरीके अपनाते हैं। वे उस स्टॉक के फ्यूचर्स के बदलते ओपन इंटरेस्ट पर भी ध्यान देते हैं।
कंपनियां जिनका फंडामेंटल हो मजबूत: हमेशा फंडामेंटल में मजबूत कंपनियों में ही ट्रेड करें। इनमें अगर 10-15 दिन में घाटा लग रहा हो तो इन्हें लम्बे समय के लिए छोड़ सकते हैं। बहुत मुमकिन है कि छह महीने या साल भर में ये आपको अच्छा रिटर्न दे दें। फिर भी घाटा हो रहा हो तो बेचने के बजाय इन्हें छोड़ दें। किसी समय ये आपके पोर्टफोलियो का चमकता सितारा बन सकते हैं। ट्रेडिंग और निवेश के बीच इन कंपनियों के शेयर पुल का काम करेंगे। इसका एक उदाहरण है एक्साइड इंडस्ट्रीज़। 10 अगस्त 2020 को हमने ट्रेडिंग के लिए चुना तो उसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर 160 रुपए चल रहा था। 20 अगस्त 2025 को फिर से ट्रेडिंग के लिए चुना तो पता चला कि वो 535 रुपए तक जाने के बाद 395 की रेंज में चल रहा था। अक्सर ट्रेडिंग सिखानेवाले कुछ गुरु-घंटाल मज़ाक करते हैं कि ट्रेडिंग में घाटा खानेवाले नौसिखिए लॉन्ग टर्म निवेशक बन जाते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि रिटेल ट्रेडर को हमेशा ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म या दीर्घकालिक निवेश में बैलेंस बनाकर चलना चाहिए।
छोटी कंपनियों में ट्रेडिंग कभी नहीं: विदेशी निवेशक संस्थाओं (एफआईआई) से देशी निवेशक संस्थाएं (डीआईआई) निपट लेती हैं। हाई नेटवर्थ व्यक्तियों या एचएनआई निवेशकों के पास धन-संपदा और विपुल अनुभव से निकली महारत है। प्रोफेशनल ट्रेडर बाज़ार के दांवपेंच के उस्ताद हैं। आखिर रिटेल ट्रेडरों के लिए क्या रास्ता है? क्या उन्हें बड़ी कपनियों को छोड़कर छोटी कंपनियों में ट्रेडिंग के मौके ढूंढने चाहिए? कतई नहीं, क्योंकि बैलगाड़ी से रेल का मुकाबला नहीं किया जा सकता। उन कंपनियों में कभी ट्रेड न करें, जिनका नाम आपने नहीं सुना हो। यह भी ध्यान रखें कि सुबह-सुबह सौदे करने की ज़रूरत नहीं। असल में सुबह दोपहर से पहले बाज़ार में रिटेल निवेशक व ट्रेडर ही उछल-कूद मचाते हैं, जबकि प्रोफेशनल ट्रेडर बाज़ार में दोपहर लंच के बाद आते हैं। हमें प्रोफेशनल ट्रेडरों के साथ चलना है तो दोपहर बाद ही सौदे करने चाहिए। रिटेल ट्रेडर बाजार खोलते हैं, जबकि प्रोफेशनल ट्रेडर उसे बंद करते हैं। आपने नोट किया होगा कि अक्सर सुबह का रुख शाम आते-आते पलट जाता है।
समझें-परखें हर संभावना: शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में केवल चार संभावनाएं होती हैं: बड़ी जीत, छोटी जीत, छोटा घाटा और बड़ा घाटा। अगर कोई ट्रेडर बड़े घाटे से बचता रहे तो बाकी तीन स्थितियों में पूरी तरह सही-सलामत रह सकता है। उसकी ट्रेडिंग पूंजी सलामत रहती है और वो अपने सिस्टम व अनुशासन के बल पर ज्यादा नहीं तो बराबर थोड़ा-बहुत मुनाफा कमाता रहता है। अच्छे रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात वाले सौदे चुने तो उसका मुनाफा बढ़ जाता है। रिटेल ट्रेडर के लिए अपनी गलतियों से बराबर सीखते रहना ज़रूरी है। अक्सर हम इसको लेकर काफी लापरवाह रहते हैं और सीखने के लिए हमेशा दूसरों की तरफ देखते रहते हैं।
हमें अपने हर ट्रेड का रिकॉर्ड रखना चाहिए। ट्रेड जनरल या लॉग-बुक बनाकर रखना ज़रूरी है जिसमें हर सौदे की तारीख, एंट्री भाव, सौदे की अवधि, डिमांड ज़ोन, लक्ष्य, स्टॉप-लॉस और नफे-नुकसान का पूरा ब्योरा दिया जाए। किस वजह से चूक हुई, ट्रेड जनरल में इसका भी हिसाब-किताब होना चाहिए। मान लीजिए कि आप अरविंद लिमिटेड मे ट्रेड कर रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि कपास बाज़ार में क्या चल रहा है, अमेरिका में गारमेंट व टेक्सटाइल्स पर टैरिफ लगाने से भारत के निर्यात पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही उन सारे ट्रिगर प्वॉइंट से वाकिफ होना पड़ेगा जिनसे अरविद का शेयर प्रभावित हो सकता है। ट्रेडिंग यकीनन भावों से खेलने का धंधा है, लेकिन इसमें अंधा नहीं, बल्कि सोचा-समझा दांव लगाया जाता है।
अपने स्वभाव के माफिक स्टॉक्स: चलनेवाले मॉल में रोज़ाना हज़ारों चीज़ें बिकती है और रोज़ वहां हज़ारों लोग आते हैं। लेकिन आप न तो वहां हर चीज़ खरीदते और न ही रोज़ाना जाते हो। इसी तरह हर दिन और हर स्टॉक में ट्रेडिंग कतई ज़रूरी नहीं। कुछ सफल ट्रेडर साल में पांच-दस स्टॉक में दस-बीस दिन की ट्रेडिंग से जमकर कमाते हैं। प्रत्येक स्टॉक का अलग स्वभाव होता है और हमें माफिक स्टॉक्स छांटकर उनमें ट्रेड करना चाहिए। हर स्टॉक के पीछे कोई न कोई कंपनी होती है। उसके भाव लम्बे समय में और कभी-कभी छोटी अवधि में भी कंपनी की खबरों और उसके फंडामेंटल्स से प्रभावित होते हैं। लेकिन हर स्टॉक का अपना अलग स्वभाव होता है। उसका यह स्वभाव उसमें सक्रिय ट्रेडरों व निवेशकों की मानसिकता से तय होता है।
किसी शेयर पर हर दिन अक्सर सुबह गरमी छाई रहती है और शाम होते-होते उतर जाती है। वहीं, कुछ स्टॉक्स दो बजे के बाद चढ़ जाते हैं। कुछ स्टॉक्स दोपहर तक चढ़कर शाम को उतर जाते हैं। हमारे पास यह जानने का कोई ज़रिया नहीं कि किसी स्टॉक में कौन-से और कैसे ट्रेडर व निवेशक सक्रिय हैं। लेकिन उनके असर को हम भावों की चाल से ज़रूर देख-परख सकते हैं। ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स चुनते वक्त हमें बराबर देख-देखकर उनका स्वभाव समझना होता है। सारे स्टॉक्स को एक छड़ी से नहीं हांक सकते। हर ट्रेडर को तमाम स्टॉक्स देखकर अपने माफिक लिस्ट तैयार करनी होती है और उन्हीं में से कुछ स्टॉक्स में ट्रेडिंग करनी होती है।
