नोबेल विजेता यूनुस पर हसीना का कोप, ग्रामीण बैंक से निकाले गए

भारतीय महाद्वीप में माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के दुर्दिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। पहले भारत में आंध्र प्रदेश सरकार का रुख बदलने के बाद एसकेएस माइक्रो फाइनेंस व अन्य संस्थाओं की दुर्गति हो गई तो अब बांग्लादेश सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता और गरीबों के बीच माइक्रो फाइनेंस की धारणा पहुंचानेवाले मुहम्मद यूनुस को उनके ही बनाए ग्रामीण बैंक के मुखिया पद से हटा दिया है। यूनुस पर आरोप है कि उन्होंने ग्रामीण बैंक के कामकाज में अनियमितताएं बरती हैं।

मुहम्मद यूनुस साल 2000 से ही ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक थे। लेकिन कुछ महीने से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना उनके पीछे पड़ी हुई थीं। यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब नारवे की एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म में आरोप लगाया गया कि ग्रामीण बैंक करों का अदायगी में गड़बड़ी कर रहा है। यूनुस ने अपनी तरफ से किसी भी अनियमितता से इनकार किया है। उनके समर्थकों का कहना है कि 2007 में बांग्लादेश में अंतरिम सैनिक सरकार के दौरान यूनुस ने राजनीतिक पार्टी बनाने की कोशिश की थी। तभी से शेख हसीना उनके खिलाफ हो गई हैं।

बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक, बांग्लादेश बैंक के गवर्नर के प्रवक्ता ने कहा, “हमने ग्रामीण बैंक को पत्र भेजकर इत्तला दे दी है कि मुहम्मद यूनुस को उनके पद से हटा दिया गया है।” एक दिन पहले मंगलवार को ही केंद्रीय बैंक के अधिकारी ने कहा था कि वित्त मंत्रालय को खत भेजकर मांग की गई है कि यूनुस को तत्काल रिटायरमेंट दे दिया जाए क्योंकि वे ग्रामीण बैंक के मुखिया पद पर करीब एक दशक से बने हुए हैं और कानून इससे ज्यादा की इजाजत नहीं देता।

बता दें कि बांग्लादेश में व्यावसायिक बैंकों के प्रबंध निदेशकों के लिए रिटायरमेंट की उम्र 60 साल निर्धारित है, जबकि मुहम्मद यूनुस 70 साल के हो चुके हैं। लेकिन यूनुस का कहना है कि ग्रामीण बैंक का स्वरूप अन्य बैंकों से भिन्न है। उसके बोर्ड में मुख्य रूप से उससे उधार लेनेवाले ही शामिल हैं और बोर्ड ने यूनुस को तब तक बैंक के प्रबंध निदेशक पद पर बने रहने की मंजूरी दे रखी है जब तक वे अपना दायित्व निभा सकते हैं।

इस बीच ग्रामीण बैंक सरकार के आदेश के पालन को तत्पर नहीं दिख रहा। उसका कहना है कि यूनुस अभी तक बैंक में बने हुए हैं और यह एक कानूनी मसला है जिस पर कानूनी सलाह ली जा रही है। बैंक सरकारी आदेश के सभी कानूनी पहलुओं पर गौर कर रहा है। दूसरी तरफ शेख हसीना सरकार की तरफ से नियुक्त ग्रामीण बैंक के चेयरमैन मुज़म्मल हक़ ने कहा है कि सरकार के आदेश पर अमल हो चुका है। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि बैंक के प्रबंधन को लेकर मची यह खींचतान कैसे खत्म होगी।

गौरतलब है कि ग्रामीण बैंक अब तक गरीबों, खासकर महिलाओं को करी 1000 करोड़ डॉलर के समतुल्य ऋण उपलब्ध करा चुका है। ये ऋण महिलाओं को अपना छोटा-मोटा धंधा शुरू करने के लिए दिए गए हैं। ग्रामीण बैंक का दावा है कि वह मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि गरीबों को स्वावलंबी बनाने के लिए काम कर रहा है। मुहम्मद यूनुस के इस काम की सराहना करते हुए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया था। लेकिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना यूनुस को ‘गरीबों का खून चूसनेवाला’ कहती रही हैं।

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