नए साल का आगाज़। उम्मीद थी कि निफ्टी-50 दिसंबर 2021 की तिमाही को 17,500 से ऊपर जाकर विदा करेगा। लेकिन म्यूचुअल फंडों व देशी संस्थाओं की खरीद के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की मुनाफावसूली ने ऐसा नहीं होने दिया। दिसंबर तिमाही में निफ्टी मात्र 1.63% बढ़ा है। मौजूदा मार्च 2022 की तिमाही में तो और ज्यादा उलट-पुलट व दबाव रह सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है अमेरिका समेत यूरोप में बढ़ती मुद्रास्फीति और उस पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की बाध्यता। अमेरिका का केंद्रीय बैंक इसकी तैयारी कर चुका है। वह हर महीने बॉन्ड खरीदकर डॉलर छापने और उन्हें सिस्टम में डालने का सिलसिला धीमा या बंद कर सकता है। इससे एफपीआई के हाथ बंध सकते हैं। अब सोमवार का व्योम…
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