सरकार की तरफ से कहा जाता है कि उसने 2014 में डूबने के कगार पर पहुंच चुकी देश की अर्थव्यवस्था को बचा लिया। निहित स्वार्थों के चलते सरकार से जुड़े देशी-विदेशी कॉरपोरेट संस्थान और अर्थशास्त्री तक बताने से नहीं थकते कि भारत को 2014 में नाज़ुक अवस्था में पहुंच चुकी दुनिया की पांच कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था, जबकि आज वह सबसे तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हकीकत यह है कि मार्च 2014 से मार्च 2023 तक के नौ सालों में हमारा जीडीपी 98 लाख करोड़ से 63% बढ़कर 160.06 लाख करोड़ रुपए हुआ है, जबकि मार्च 2005 से मार्च 2014 तक यह 97% बढ़ा था। हमारी प्रति व्यक्ति आय 2014 से 2023 तक के नौ सालों में 67% बढ़ी है, जबकि मार्च 2005 से मार्च 2014 तक के नौ सालों में यह 145% बढ़ी थी। आंकड़े गवाह हैं कि पैमाना बदल दिए जाने के बावजूद यूपीए शासन में हमारी अर्थव्यवस्था की औसत सालाना विकास दर 6.8% रही थी, जबकि एनडीए शासन में यह 5.4% ही रही है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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