सरकार की तरफ से जारी आंकड़े भारतीय परिवारों की बड़ी ठंडी और बेजान तस्वीर पेश करते हैं। लेकिन उससे परे जाकर देखें तो पता चलता है कि भारतीय परिवार वित्तीय सुरक्षा हासिल करने के लिए जबरदस्त हाथ-पैर मार रहे हैं। वित्तीय आस्तियों में लोगों के पास उपलब्ध कैश, बैंक डिपॉजिट और अन्य वित्तीय निवेश शामिल हैं, जबकि देनदारियों में बैंकों और अन्य स्रोतों से लिये गए ऋण शामिल हैं। वित्तीय आस्तियों से देनदारियां घटा दें तो भारतीय घरों की शुद्ध वित्तीय बचत निकलती है। जाने-माने टीवी व प्रिंट पत्रकार गोविंदराज इथिराज द्वारा स्थापित संस्था ‘इंडियास्पेंड’ द्वारा जुटाए गए आधिकारिक डेटा के मुताबिक, मार्च 2024 में भारतीय घरों की कुल वित्तीय आस्तियां लगभग ₹320 लाख करोड़ और देनदारियां ₹121 लाख करोड़ की थी। वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर 2023-24 तक के दस साल के मोदीराज में भारतीय घरों की वित्तीय बचत के स्वरूप में काफी तब्दीली आई है। वित्त वर्ष 2013-14 में लोगों की 56% बचत बैंक डिपॉजिट में जाती थी। लेकिन यह हिस्सा 2023-24 तक घटकर 41% पर आ गया। इस दौरान लोगों ने शेयर, म्यूचुअल फंड, लघु बचत स्कीमों, सरकारी बॉन्डों और पीपीएफ व पेंशन फंड में निवेश बढ़ा दिया। इसी का प्रमाण है कि जून 2025 में म्यूचुअल फंड स्कीमों में ₹27,269 करोड़ आए हैं, जो अब तक का नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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