भारत सरकार का ऋण यकीनन इतना ज्यादा नहीं बढ़ा है कि श्रीलंका जैसी स्थिति हो जाए। देश पर चढ़े कुल विदेशी ऋण में से 40.3% गैर-वित्तीय निगमों, 25.6% जमा लेनेवाले निगमों, 21.1% केंद्र सरकार, 8.6% अन्य वित्तीय निगमों और बाकी 4.4% सीधा अंतर-कंपनी निवेश है। यह भी सच है कि विदेशी ऋण का हिस्सा कुल सरकारी ऋण में घटता गया है। यह वित्त वर्ष 2013-14 में 6.4% हुआ करता है जो 2021-22 तक 4.7% रह गया। मतलब, हमारी सरकार ने 95.3% कर्ज देश के भीतर से ही ले रखा है। यह कर्ज वह आम लोगों की लघु बचतों या बैंकों में लोगों के जमाधन से लेती है। जो भी व्यक्ति या संस्थान सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं, वो सारा का सारा सरकार को दिया गया उधार है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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