हम जीते-जी इंसान में भगवान तलाशते रहते हैं। खूबियां छोड़ उसकी खामियां निकालते हैं। पर मरते ही महिमामंडित करके भगवान बना देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वायवी व मायावी भगवान के आगे हमें छोटा बनना मंजूर है, असली इंसान के आगे नहीं।
2012-07-21
हम जीते-जी इंसान में भगवान तलाशते रहते हैं। खूबियां छोड़ उसकी खामियां निकालते हैं। पर मरते ही महिमामंडित करके भगवान बना देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वायवी व मायावी भगवान के आगे हमें छोटा बनना मंजूर है, असली इंसान के आगे नहीं।
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