वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस साल जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश के आर्थिक विकास दर अप्रैल-जून की तिमाही की विकास दर 8.8 फीसदी के काफी करीब रहेगी। दूसरे अर्थशास्त्री और विद्वान कल तक कह रहे थे कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में जिस तरह कमी आई है, उसे देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में बढ़त की यह दर 8 से 8.3 फीसदी ही रहेगी। लेकिन केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) द्वारा घोषित आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.9 फीसदी की दर से बढ़ी है।
इसने हर तरफ एक आशावाद की लहर दौड़ा दी थी। शेयर बाजार में खुशी है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि हम मार्च 2011 में खत्म हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष में 8.5 से 8.75 फीसदी की विकास दर हासिल कर लेंगे। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने आगे बढ़कर कहा है कि हम अगले वित्त वर्ष 2011-12 में 9 फीसदी विकास दर हासिल कर लेंगे और चालू वित्त वर्ष में भी 9 फीसदी की दर हासिल करना ‘नामुमकिन’ नहीं है। वित्त सचिव अशोक चावला ने भरोसा दिलाया है कि सिस्टम में जब भी तरलता की जरूरत होगी, रिजर्व बैंक उपलब्ध कराएगा। रिजर्व बैंक ने कल, सोमवार को ही एसएलआर में 2 फीसदी छूट देकर बैंकों को अतिरिक्त तरलता उपलब्ध कराई है।
सीएसओ की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2010 की तिमाही में हमारा जीडीपी 11,46,637 करोड़ रुपए रहा है, जो सितंबर 2009 की तिमाही के 10,53,057 करोड़ रुपए से 8.9 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर 9.8 फीसदी और कृषि क्षेत्र की विकास दर 4.4 फीसदी रही है, जबकि सितंबर 2009 की तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर साल भर पहले की तुलना में 8.4 फीसदी और कृषि क्षेत्र 0.9 फीसदी ही बढ़ा था। इस साल जून 2010 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 13 फीसदी और कृषि क्षेत्र में 2.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। सितंबर 2010 तिमाही में निजी खर्च 9.3 फीसदी बढ़ा है, जबकि जून 2010 तिमाही में यह 7.8 फीसदी बढा है। लेकिन इस दौरान निवेश की दर 19 फीसदी से घटकर 11.1 फीसदी पर आ गई है।
असल में जीडीपी को लेकर अर्थशास्त्रियों के बीच इसलिए चिंता छाई हुई थी क्योंकि सितंबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) केवल 4.4 फीसदी बढ़ा था, जबकि ठीक इससे पहले के अगस्त माह में इसमें 6.92 फीसदी की वृद्धि हुई थी। आज ही आईआईपी में 26.7 फीसदी का भार रखनेवाले छह बुनियादी उद्योगों में अक्टूबर में हुई वृद्धि के आंकड़े जारी किए गए हैं। इनके अनुसार इन छह उद्योगों (कच्चा तेल, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, कोयला, बिजली, सीमेंट और तैयार स्टील) की सम्मिलित विकास दर अक्टूबर 2010 में 7 फीसदी है, जबकि अक्टूबर 2009 में यह दर 3.9 फीसदी ही थी।
दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर अच्छी रहने से अर्थशास्त्रियों को लगने लगा है कि रिजर्व बैंक अब मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के मकसद से ब्याज दरें फिर बढ़ा सकता है। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा 16 दिसंबर को पेश करनेवाला है। माना जा रहा है कि वह तब रेपो और रिवर्स रेपो दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। इस समय रेपो दर (बैंकों को रकम उधार देने की दर) 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर (बैंकों द्वारा जमा कराई रकम पर ब्याज की दर) 5.25 फीसदी है।