सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका अगर टैपरिंग या बॉन्ड खरीदने की रफ्तार नवंबर महीने से धीमी करता है तो भारत पर क्या असर पड़ेगा। सीधी-सी बात है कि विदेशी निवेशक हमारे बॉन्ड और शेयर बाज़ार से निकलने लगेंगे। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होगा। साथ ही जो डॉलर अभी 75 रुपए का मिल रहा है, वह हो सकता है कि 78 रुपए का मिलने लगे। इससे हमें विदेशी ऋणों की अदायगी पर ज्यादा रकम देनी पड़ेगी। यह भी नोट करने की बात है कि भारत का विदेशी ऋण बढ़कर अभी 571.30 अरब डॉलर हो गया है, जबकि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 641.01 अरब डॉलर का है। ऋण से मात्र 70 अरब डॉलर (12.25%) ज्यादा! अब शुक्रवार का अभ्यास…
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