खाद्य मुद्रास्फीति की दर में हल्की-सी कमी जरूर आई है। लेकिन यह अब भी दहाई अंक में बनी हुई है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 29 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में 11.81 फीसदी रही है। इससे ठीक पिछले हफ्ते में इसकी दर 12.21 फीसदी दर्ज की गई थी।
दाल, सब्जियों, दूध व मांस, मछली की कीमतों का बढ़ना जारी रहा। अक्टूबर के चार हफ्चों में खाद्य महंगाई दर में लगातार वृद्धि की वजह त्योहारों से बढ़ी मांग को बताया जा रहा है। लेकिन जनवरी 2010 से ही मुद्रास्फीति की दर ज्यादातर समय दहाई अंक के करीब बनी हुई है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति की दर सितम्बर में 9.72 फीसदी दर्ज की गई है। महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 से अब तक 13 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है। लेकिन उसकी कठोर मौद्रिक नीति के बावजूद बढ़ती कीमतों पर काबू नहीं पाया जा सका। कुछ दिन पहले ही वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने रिजर्व बैंक के उपायों को किताबी उपाय करार दिया था।
पिछली बार 25 अक्टूबर ब्याज दरें बढ़ाते वक्त रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह आगे सम्भवत: इस तरह के कदम न उठाए क्योंकि दिसम्बर से महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है। उधर, उद्योग जगत का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की एक प्रमुख वजह बढ़ती ब्याज दर है। सितम्बर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 1.9 फीसदी की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। मौजूदा वित्त वर्ष के पहली छमाही में इसमें केवल पांच फीसदी की वृद्धि हुई है।