सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर 15 मई को खत्म हफ्ते में 16.23 फीसदी रही है। इससे ठीक पहले के हफ्ते में यह 16. 49 फीसदी थी। इस गिरावट की मुख्य वजह मसूर, फल व सब्जियों के थोक भाव में आई कमी है। जहां मसूर के भाव में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, वहीं फल व सब्जियों के भाव में 2 फीसदी और अनाज व दाल की कीमत में 0. 20 फीसदी आई है।
गैर खाद्य जिंसों में जहां बिनौला के भाव में 2 फीसदी की कमी आई है, वहीं कच्चे रबर के भाव में एक फीसदी की गिरावट रही। लेकिन चाय जैसे कुछ जिंसों के भाव में तेजी भी दर्ज की गई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीपी) के अर्थशास्त्री एन आर भानुमूर्ति का कहना है कि अगर मानसून सामान्य रहा तो खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त तक ही घटकर इकाई अंक में आ सकती है। लेकिन सरकार अगर कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ज्यादा बढ़ोतरी करती है तो इस मुद्रास्फीति के बढ़ने का दूसरा दौर चल सकता है।
जानकारों का यह भी कहना है कि अगर सरकार 7 जून को होनेवाली बैठक में पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला करती है तो इसका भारी असर खाद्य पदार्थों के मूल्य पर पड़ेगा। वैसे, इसी सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं कि दिसंबर तक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति घटकर 5-6 फीसदी पर आ सकती है। अप्रैल में यह दर 9.59 फीसदी थी, जबकि मार्च में 9.9 फीसदी दर्ज की गई थी।