सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 18 जून को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर 7.78 फीसदी रही है, जबकि इससे ठीक पिछले हफ्ते इसकी दर 9.13 फीसदी थी। एक साल पहले जून महीने के समान सप्ताह में यह 20.12 फीसदी थी।
लेकिन इसी दौरान ईंधन व बिजली की मुद्रास्फीति बढ़कर आठ हफ्तों के शिखर 12.98 फीसदी पर जा पहुंची। ठीक पिछले हफ्ते यह 12.84 फीसदी और साल भर पहले 12.54 फीसदी थी। सरकार ने इसके बाद डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के दाम बढ़ा दिए हैं। इसलिए ईंधन की मुद्रास्फीति अगले हफ्ते और बढ़ जानी है।
18 जून को दर्ज खाद्य मुद्रास्फीति का यह स्तर डेढ़ महीने का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले 1 मई 2011 को खाद्य मुद्रास्फीति 7.47 फीसदी थी। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 18 जून को समाप्त सप्ताह में सब्जी सालाना आधार पर करीब 10.08 फीसदी सस्ती हुई। इसी प्रकार दाल 9.50 फीसदी और आलू 2.39 फीसदी सस्ता हुआ।
हालांकि, सप्ताह के दौरान अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतें चढ़ी ही रहीं। फल जहां 24.76 फीसदी महंगे हुए, वहीं अंडा, मांस व मछली के दाम में 10.32 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। प्याज के भाव में भी 16.08 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। इसी प्रकार अनाज 4.76 फीसदी महंगा हुआ।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल बुधवार को कहा था कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम नरम बने रहे और जिंसों की कीमत नहीं चढ़ी तो मुदास्फीति की दर मार्च 2012 के अंत तक 6.5 फीसदी पर आ जाएगी। सकल मुदास्फीति की यह दर मई 2011 में 9.06 फीसदी रही है। अर्थशास्त्रियों के बीच माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए आनेवाले महीनों ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स रेपो दर) 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है।