सरकार ने बड़े स्पष्ट शब्दों में बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) से कहा कि उसे बीमा कंपनियों के बीच मची आत्मघाती होड़ की प्रवृत्ति को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। इधर कंपनियों में बाजार पकड़ने के चक्कर में कम प्रीमियम लेने की होड़ मची हुई है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने राजधानी दिल्ली में बुधवार को इरडा की 72वीं बोर्ड बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “वाजिब अंडरराइटिंग को सुनिश्चित करना और प्रीमियम में कटौती के जरिए कंपनियों के बीच छिड़ी अस्वस्थ व आत्मघाती होड़ को रोकना – यह ऐसा काम है जिसे नियामक को कायदे से पूरा करने की दरकार है।” उनका कहना था कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा ने बीमा कंपनियों के खातों पर असर डालना शुरू कर दिया है और, “भारत में किसी भी कंपनी ने अभी तक विकास और लाभप्रदता के बीच टिकाऊ संतुलन नहीं हासिल किया है।”
वित्त मंत्री ने कहा, “डी-टैरिफिंग (प्रीमियम तय करने की स्वतंत्रता) ने ग्राहकों के लिए प्रीमियम को काफी घटा दिया है, लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव बीमा कंपनियों की बैलेंस शीट पर देखने को मिल रहा है।” उन्होंने स्वीकार किया है कि तेज विकास के बावजूद देश में अभी तक पर्याप्त बीमा कवर नहीं है। उन्होंने आंकड़ा दिया कि इस समय संरक्षण, बीमा कवर या सम-इश्योर्ड का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 55 फीसदी ही है। यह दिखाता है कि देश में दीर्घकालिक बचत व संरक्षण को प्रोत्साहित करने की कितनी ज्यादा जरूरत है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि 1956 में बीमा कारोबार के राष्ट्रीयकरण के बाद से बेहद लंबा सफर तय किया जा चुका है। लेकिन आगे का सफर चुनौती भरा है। जापान के अतिरिक्त बाकी एशिया का योगदान अगले पांच सालों में दुनिया के बीमा बाजार के विकास में लगभग एक-चौथाई होगा। जबकि, एशिया में भारत 15 फीसदी सालाना की औसत अनुमानित वृद्धि के साथ सबसे तेजी से उभरता साधारण बीमा बाजार होगा। स्वागतयोग्य पहलू यह है कि परिवारों की सकल घरेलू बचत में जीवन बीमा प्रीमियम का हिस्सा अभी 18 फीसदी है और यह साल-दर-साल बराबर बढ़ रहा है। 2001 से 2011 के दौरान देश में प्रीमियम अंडरराइटिंग में 22.3 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से विकास हुआ है। देश में बीमा की पहुंच व घनत्व 2010 में 5.1 फीसदी रहा है, जबकि 2001 में यह मात्र 2.71 फीसदी था।
उन्होंने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि बीमा क्षेत्र देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में अहम योगदानकर्ता है। इंफ्रास्ट्रक्चर में बीमा उद्योग का कुल निवेश 31 मार्च 2011 तक 1,98,369 करोड़ रुपए रहा है। इसमें से 78 फीसदी निवेश सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण व सामाजिक बीमा को बढ़ावा देने के लिए इरडा के प्रयास सही दिशा में है। इस संदर्भ में एलआईसी के साथ-साथ चार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को सभी जिला मुख्यालयों और टियर-4 शहरों तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
aap ne chamatakar chakri kyo band kar di
इसलिए कि वह पेड कॉलम था और उसका भुगतान मैं अपनी जेब से नहीं कर सकता था।