लगता है कि सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वड्रा पूरी सरकार व कांग्रेस पार्टी के दामाद बन गए हैं। वड्रा और रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ के बीच लेनदेन की जांच से इनकार करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि जब तक साफ तौर पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप सामने नहीं आते, तब तक सरकार निजी सौदों की जांच नहीं कर सकती।
सोमवार को राजधानी दिल्ली में आर्थिक संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं के सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जब तक किसी लाभ के बदले कुछ लेने देने अथवा भ्रष्टाचार के विशिष्ट आरोप सामने नहीं आते, मुझे नहीं लगता कि तब तक निजी सौदों की जांच केवल इस आधार पर नहीं की जा सकती है कि इसका इशारा किया गया है अथवा ऐसा आरोप लगाया गया है।’’
उधर पूर्व कांग्रेसी व केंद्रीय कानून मंत्री और इस समय कर्णाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने भी सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वड्रा का बचाव करते हुए कहा कि गांधी परिवार के खिलाफ पहले भी इस तरह के कई आरोप लगाए जा चुके हैं लेकिन वे ‘ताश के किले’ की तरह ढह गए।
लेकिन बाजार किसी भी तरह डीएलएफ के बचाव में नहीं आ रहा है। सोमवार को डीएलएफ के शेयर बीएसई में 7.24 फीसदी गिरकर 224.25 रुपए और एनएसई में 7.28 फीसदी गिरकर 224.30 रुपए पर बंद हुए। यह इस साल 22 फरवरी के बाद डीएलएफ में आई सबसे बड़ी गिरावट है। बाजार पूंजीकरण को देखते हुए इससे डीएलएफ के निवेशकों की करीब 3000 करोड़ रुपए की पूंजी एक दिन में ही स्वाहा हो गई।
आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में वित्त मंत्री चिदंबरम का कहना था कि अधिक निवेश से विकास सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा, वर्ष 2007-08 में हमने निवेश में 38 फीसदी तक उच्च वृद्धि दर तक का लक्ष्य प्राप्त किया और उस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इसलिए जीडीपी के 37-38 फीसदी तक की निवेश दर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें विभिन्न बचत योजनाओं को बढ़ावा देने के साथ ही इन बचतों को निवेश के रूप में सुसंगत करना होगा। उस स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8 से लेकर 9 फीसदी के बीच हो पाएगी। अभी 12वीं योजना के दौरान 8.2 फीसदी की औसत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले साल यह अनुमान 9 फीसदी रखा गया था।