दोस्तों! अगले हफ्ते सोमवार से शनिवार तक हम शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग के तमाम बुनियादी पहलुओं को लेख के रूप में पेश करते रहेंगे क्योंकि हम यह आदत खुद डालना और आपको भी डलवाना चाहते हैं कि हर दिन, हर हफ्ते ट्रेडिंग करना ज़रूरी नहीं है। 1 मई, सोमवार को बाज़ार बंद है तो ट्रेडिंग बुद्ध में सलाह का अगला सिलसिला 2 मई, मंगलवार के कॉलम से शुरू होगा। लेकिन आप सब्सक्राइबरों को कोई नुकसान न हो, इसलिए इसकी भरपाई करते हुए आप सबका सब्सक्रिप्शन एक हफ्ते बढ़ा दिया गया है। हां, इस दौरान लंबे समय की सलाह में कोई व्यवधान नहीं आएगा और रविवार को ‘तथास्तु’ का कॉलम बदस्तूर मिलता रहेगा।
ट्रेडिंग के सबक की श्रृंखला का पहला लेख:
अपने समाज में बड़ी अनिश्चितता है। यूरोप व अमेरिका जैसे विकसित या चीन जैसे विकासशील देशों तक में हर बाशिंदे के लिए किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा का इंतज़ाम है। भारत में संगठित क्षेत्र में काम कर रहे बमुश्किल 4% लोगों को पेंशन वगैरह मिल जाती है। बाकी किसानों, मजदूरों, बुजुर्गों व बेरोज़गारों समेत 96% भारतीयों को अपनी हिफाजत खुद करने के लिए छोड़ दिया गया है। इसलिए पार्ट-टाइम काम से लेकर वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग तक में उतरने का जोखिम उठाना उनका शौक नहीं, मजबूरी बन गया है।
उनकी इस मजबूरी का फायदा उठाने के धंधे खुल गए है। हम इसमें न फंसें, इसके लिए अपने स्तर पर कुछ सावधानियां ज़रूरी हैं। असल में बंधे-बंधाए ढर्रे पर चलनेवाले भविष्य को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं क्योंकि लगभग तय होता है कि आगे क्या होगा। मगर, लीक छोड़कर चलनेवाले हमेशा ऐसी धार पर खड़े होते है जहां पक्का पता नहीं होता कि कल क्या होगा। वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग भी इसी तरह लीक से हटकर चलने का दुस्साहस है। यहां कुछ भी पक्का नहीं। इसलिए यहां हमेशा प्रायिकता की गणना करके चलें। सही तो क्या, गलत तो क्या?
वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में प्रायिकता के पहलू पर ध्यान रखना पहला ज़रूरी बिंदु है। दूसरा यह भी दिमाग में बैठा लें कि इसमें बड़ा रिस्क है। हालांकि ट्रेडिंग की सलाह देनेवालों के लिए यह बड़ा सुरक्षित पेशा है। आप इस बात को अच्छी तरह समझ लें। उन्होंने तो चैनल से लेकर वेबसाइट या अखबार में सलाह फेंकी, नोट पकड़े और किनारे हो लिए। लेकिन उस सलाह पर डूबने या उठनेवाली पूंजी आपकी है। बच्चे से भी परची उठवा लें तो प्रायिकता 50-50% रहेगी। नीति बनाइए कि 50-50% में भी लाभ कमाएं।
तीसरा बिंदु इस प्रकार है। मान लीजिए कि महीने भर में बीस दिन ट्रेडिंग की। सौदे वैसे चुने जिसमें गिरने की आशंका एक और बढ़ने की संभावना दो हो। रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात 1:2 का। मान लें कि बीस में से 60% यानी बारह सौदे गलत हों और आपने स्टॉप-लॉस 2% लगाया हो तो कुल नुकसान हुआ 12×2 यानी 24% का। लेकिन बाकी आठ सौदों में फायदा होगा 8×4 यानी 32% का। इस तरह बहुत खराब स्थिति में भी महीने भर में 8% कमाई।
चौथी और बड़ी साफ-सी बात है कि वित्तीय बाज़ार में कमाई शुद्ध रूप से साफ समझ और अनुशासन का खेल है। हर सौदे का रिस्क व रिवॉर्ड का अनुपात समझा और मुनाफे को अधिकतम व घाटे को न्यूनतम रखने का अनुशासन माना तो दिल-दिमाग के साथ आपका बैंकखाता भी सुरक्षित रहेगा। लेकिन बुद्धि को छोड़ मन या इन्ट्यूशन पर चले तो कभी भी किनारा नहीं मिलेगा। आपको अपनी ट्रेडिंग पूंजी हमेशा बचाकर चलनी है।
आज के पाठ की अंतिम, लेकिन काफी अहम बात। हम एक ही शेयर में बार-बार निवेश नहीं कर सकते। लेकिन एक ही शेयर में बार-बार ट्रेडिंग कर सकते हैं। वजह यह है कि निवेश में हम शेयर के भाव की दीर्घकालिक दिशा पर नज़र रखते हैं, उसकी लाइन को ध्यान में रखते हैं। लेकिन भाव असल में रेखा के रूप में नहीं, बल्कि लहरों के रूप में चलते हैं। उनकी इस अल्पकालिक लहरों के उतार-चढ़ाव को पकड़कर हम ट्रेडिंग में कमाते हैं।