बहुत सोच-समझकर, आग-पीछा देखकर कंपनी चुनकर उसके शेयर खरीदे। फिर भी उसका शेयर बढ़ने के बजाय घाटा दे सकता है। यह शेयर बाजार का रिस्क है जिससे कोई नहीं बच सकता। इसलिए निवेशकों को एक नहीं, कई तरह की कंपनियों में निवेश करने को कहा जाता है। फिर भी कुछ ज़रूरी पहलू है जिन्हें हमें निवेश से पहले हर कंपनी में देख लेना चाहिए। पहला, कंपनी कहीं ऋण के बोझ तले दबी तो नहीं है। उसका ऋण-इक्विटी अनुपात हर हाल में 1 गुना से कम हो। यह शून्य हो तो बहुत अच्छा। दूसरा, कंपनी लाभांश दे रही या नहीं। तीसरा, कंपनी की बिक्री, शुद्ध लाभ और लाभ मार्जिन कितना और कैसे बढ़ रहा है। चौथा, कहीं प्रवर्तकों ने अपने ज्यादा शेयर गिरवी तो नहीं रखे हैं। पांचवा, कंपनी का इक्विटी और लगाई गई पूंजी पर रिटर्न कितना है। तथास्तु में आज भी कंपनी को परखते हैं इन्हीं पांच पैमानों पर…
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