देश की आबादी करीब 118 करोड़ हो चुकी है। लेकिन हमारे सभी बैंकों में कुल बचत खातों की संख्या केवल 15 करोड़ है। ऐसा तब है जबकि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग तंत्र है जिसमें कुल करीब 79,000 शाखाएं व एटीएम वगैरह शामिल हैं। रिजर्व बैंक, नाबार्ड व राज्य सरकारों की तमाम कोशिशों के बाद 8.6 करोड़ घरों तक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए बैंकिंग सेवा को पहुंचाया गया है। देश भर में बचत से संबंधित 61 लाख एसएचजी हैं, जबकि ऋण से संबधित एसएचजी की संख्या 41 लाख है।
2010-05-31
mujhe bhi bada aashcharya huwa he
bharat ki economics ke bare me samjh pana bahut muskil he