स्पैंको की आंच तो महसूस करो

स्पैंको लिमिटेड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनी है। वह सरकार, बिजली, ट्रांसपोर्ट व टेलिकॉम सेक्टर को अपनी सेवाएं देती है। साथ ही बीपीओ सेवाओं में भी सक्रिय है। पिछले ही हफ्ते शुक्रवार 7 जनवरी को उसे महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, महावितरण से नागपुर जिले में फीडर सेपरेशन स्कीम के लिए करीब 66 करोड़ रुपए का नया अनुबंध मिला है। लेकिन इस खबर को सकारात्मक रूप से लेने के बजाय उसका शेयर कल सोमवार को बीएसई (कोड – 508976) में 2.48 फीसदी गिरकर 155.10 रुपए और एनएसई (कोड – SPANCO) में 2.02 फीसदी गिरकर 155.50 रुपए पर बंद हुआ है।

कंपनी की वित्तीय स्थिति यह है कि उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 25.38 रुपए है। इस तरह उसका शेयर मात्र 6.11 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू ही 159.35 रुपए है जो उसके मौजूदा बाजार भाव से ज्यादा है। शुक्रवार को मिले 66 करोड़ रुपए के नए ऑर्डर को मिला दें तो कंपनी के पास अभी करीब 716 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। लेकिन समझ में नहीं आता कि मजबूत वर्तमान और संभावनामय भविष्य होने के बावजूद कंपनी का शेयर बढ़ क्यों नहीं रहा? हालांकि कल बीएसई में इसके 1.25 लाख शेयरों में कारोबार हुआ जिसमें से 70.52 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे, जबकि एनएसई में ट्रेड हुए 88,379 शेयरों में से 62.16 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

बाजार के जानकार मानते हैं कि यह शेयर झटपट 10 फीसदी बढ़ सकता है। यह बीएसई के एस ग्रुप में शामिल है और इसमें सर्किट सीमा 20 फीसदी की है। यानी, एक दिन में भी यह शेयर 20 फीसदी ऊपर-नीचे हो सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने नवंबर माह में जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में इसे मूलभूत मजबूती के आधार पर 5 में से 3 का ग्रेड दिया था। कंपनी ने इसकी सूचना 1 दिसंबर को बाकायदा एक रिलीज जारी करके दी थी। लेकिन कमाल की बात है कि उसका शेयर 1 दिसंबर को 163.55 रुपए पर था। अभी 155.10 रुपए पर है। इसी बीच वह 10 दिसंबर को नीचे में 114 रुपए तक भी जा चुका है।

कंपनी को 23 दिसंबर को गोवा राज्य विद्युत बोर्ड से 85 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिला था जो उसने एचसीएल, विप्रो, टीसीएस व एल एंड टी इनफोटेक जैसी नामी कंपनियों की होड़ में हासिल किया था। लेकिन इसकी सूचना स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए सार्वजनिक किए जाने के बावजूद उसका शेयर सुस्त पड़ा रहा। हमारा आकलन है कि आम निवेशकों के लिए इसमें निवेश फलदायी हो सकता है। यह शेयर 10 नवंबर 2010 को हासिल 208.25 रुपए के उच्चतम स्तर पर अगले तीन महीनों में फिर से पहुंच सकता है। यानी, इसमें 30 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल सकता है। लेकिन इसके लिए धैर्य रखना पड़ेगा।

कंपनी की शुरुआत 1995 में टेलिकॉम उपकरणों, ईपीबीएएक्स सिस्टम्स, पेजिंग व सेलुलर सिस्टम्स से हुई थी। अभी वह देश के छह बड़े शहरों – मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, चंडीगढ़, गुडगांव व भुवनेश्वर में मौजूद है। विदेश में वह अमेरिका, ब्रिटेन, मध्य-पूर्व (ओमान व कतर) व अफ्रीका में अपनी बीपीओ सेवाएं देती है। देश में उसकी बीपीओ सेवाओं की साख इसी बात से समझी जा सकती है कि भारतीय रेल के लिए आरक्षण सेवाएं देनेवाली कंपनी आईआरसीटीसी से उसे अगले दस सालों का अनुबंध मिला हुआ है। कंपनी ने सितंबर 2010 की तिमाही में 348.87 करोड़ रुपए की आय पर 17.22 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में उसकी आय 1190.79 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 61.87 करोड़ रुपए था।

कंपनी की इक्विटी 28.06 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 37.73 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई के पास इसके 10.75 फीसदी, विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशकों के पास 19.90 फीसदी और वित्तीय संस्थाओं व बैंकों के पास 1.43 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के मुख्य प्रवर्तक और चेयरमैन व प्रबंध निदेशक कपिल पुरी हैं जिनके खुद के नाम में 33.98 फीसदी शेयर हैं। उसके बड़े शेयरधारकों में मोनेट लिमिटेड (14.92 फीसदी), यूटीआई इनवेस्टमेंट एडवाइजरी (3.90 फीसदी), यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस (1.43 फीसदी) और सालस्कर स्टॉक ब्रोकिंग (1.27 फीसदी) शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *