बजट का डर व बुखार बीत चुका है। अब अच्छे-अच्छे सस्ते शेयरों को पकड़ने का सिलसिला शुरू किया जाए। तो, गौर कीजिएगा। हाईवे के किनारे ढाबों से लेकर शादी-ब्याज व राजनीतिक समाराहों और बिल्डिंगों के बाहर बैठे गार्ड के नीचे तक प्लास्टिक की जितनी कुर्सियां आप देखते हैं, उनमें से ज्यादातर नीलकमल लिमिटेड की बनाई होती हैं और उन पर बाकायदा नीलकमल का छापा भी लगा होता है। कंपनी प्लास्टिक के मोल्डेड फर्नीचर के अलावा क्रेट वगैरह भी बनाती है। साथ ही @home के नाम से उसने अपना रिटेल बिजनेस भी शुरू कर रखा है जहां वह आम फर्नीचर और तमाम काम के लाइफस्टाइल प्रोडक्ट ठीकठाक दामों में बेचती है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 1031.95 करोड़ रुपए पर 47.24 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 11.90 फीसदी था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी दिसंबर तिमाही खास अच्छी नहीं रही है। उसका ओपीएम घटकर 9.92 फीसदी पर आ गया है। उसने 304.10 करोड़ रुपए की शुद्ध बिक्री पर 11.56 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले इसी दरम्यान उसकी शुद्ध बिक्री 248.46 करोड़ और शुद्ध लाभ 16.76 करोड़ रुपए था। इस तरह बिक्री में 22.39 फीसदी की वृद्धि के बावजूद उसका शुद्ध लाभ 31.02 फीसदी घट गया है।
कंपनी का कहना है कि इस समय वह तमाम पूंजी खर्च कर रही है जिसके चलते उसके लाभ में कमी आई है। इस पूंजी निवेश का असर अगले वित्त वर्ष 2011-12 में नजर आएगा। कंपनी का @home का रिटेल बिजनेस भी इस साल ब्रेक-इवेन में आनेवाला है। कंपनी की बढ़ती बिक्री उसके धंधे के प्रति भरोसा पैदा करती है और लगता है कि अभी उसकी मंजिल काफी ऊंची है।
उसका शेयर कल बीएसई (कोड – 523385) में 288.55 रुपए और एनएसई (कोड – NILKAMAL) में 289.85 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 32.06 रुपए है और उसका शेयर इस समय मात्र 9 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 235.86 रुपए है जो बाजार में उसके भाव से बहुत कम नहीं है। शेयर ने ठीक एक साल पहले 2 मार्च 2010 को 230.40 रुपए पर अपना न्यूनतम स्तर पकड़ा था, जबकि ऊपर में वो 441.66 रुपए (16 सितंबर 2010) तक जा चुका है।
बहुत-साफ सी बात है कि अगर नीलकमल जैसे ब्रांड नामवाली कंपनी का शेयर 9 के पी/ई अनुपात पर मिल रहा है, तो उसमें लंबे समय के लिए निवेश कर देना चाहिए। फिर कंपनी ने समाज के निचले से निचले से लेकर ऊपरी स्तरों पर पहुंचने का ऐसा धंधा पकड़ा है कि भारत में घरेलू खपत की स्टोरी उस पर खूब फबेगी। कंपनी बराबर अपने शेयरधारकों को लाभांश देती रही है। पिछला लाभांश उसने जुलाई 2010 में 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 3 रुपए का दिया था।
कंपनी की कुल इक्विटी 14.92 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 38.97 फीसदी हिस्सा पब्लिक और 61.03 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। पब्लिक में भी 17.52 फीसदी घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) और मात्र 0.93 फीसदी एफआईआई के पास है। उसके बड़े शेयरधारकों में रिलायंस कैपिटल ट्रस्टी कंपनी (6.24 फीसदी), आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी फंड (5.43 फीसदी), एसबीआई म्यूचुअल फंड (2.88 फीसदी), स्विस फाइनेंस कॉरपोरेशन – मॉरीशस (1.45 फीसदी) और कोई श्वेता विकास शाह (1.09 फीसदी) नाम की भद्र महिला शामिल हैं।
बीएसई के बी ग्रुप में शामिल इस स्टॉक के साथ बस एक दिक्कत है कि इसमें वोल्यूम नहीं होता। जैसे, कल बीएसई में इसके मात्र 974 शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 627 शेयर (64.37 फीसदी) डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में इसमें कुल वोल्यूम 4428 शेयरों का था जिसमें से 71.66 फीसदी (3173 शेयर) ही डिलीवरी के लिए थे।